बक्सर खबर। इन दिनों जिले के कांग्रेस संगठन के लोग आपस में भिड़े हैं। उनकी बेचैनी का करण जिलाध्यक्ष हैं। उनके उपर आरोप लग रहा है कि वे गैर जिले के निवासी हैं। लेकिन इसकी मूल वजह कुछ और ही जान पड़ती है। क्योंकि वे पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री प्रो. के के तिवारी के पुत्र हैं। राजनीतिक औकात-बात में मुकाबील खड़े नहीं होने पाने वाले विरोध का कोई न कोई बहाना तलाशते रहते हैं।
इस राजनीतिक घमासान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए एक कट्टर कांग्रेसी नेता ने कहा कि शायद कुछ लोगों को पता नहीं। तथागत हर्षवद्र्धन बक्सर के मतदाता हैं। यहां की सूची में उनका नाम दर्ज और वे प्रत्येक चुनाव में मतदान भी करते हैं। लेकिन कुछ लोग खिसियानी बिल्ली की तरह खंभा नोच रहे हैं।
उक्त नेता ने अपना नाम न प्रकाशित करने का आग्रह करते हुए कहा नाम आएगा तो फिर लोग आपस में संवाद हिनता पर उतर आएंगे। इससे तो दल और कमजोर ही होगा। मैं इससे बचना चाहता हूं। उस नेता ने यह भी बताया पिछले चार वर्ष से तथागत इस जिला के अध्यक्ष हैं। लेकिन, इन नेताओं को इतनी बेचैनी पहले नहीं हुई। जब उम्मीदवार बनना था तो कइयों ने इसी अध्यक्ष ने अपना नाम भेजने का आग्रह किया था। इतना ही नहीं कई तो उन्हीं के द्वारा पार्टी के पदाधिकारी मनोनित किए गए। लेकिन अब वैसे लोग अपनी मतलब वाली करने के लिए राजनीतिक विरोध का ड्रामा कर रहे हैं। जबकि सच यह है कि जिला संगठन हाल के वर्षो में जितना सशक्त हुआ है। उतना दूसरे अध्यक्ष के समय में नहीं था।