सड़क पर घूम रहा है कोरोना, गायब हो गए दानवीर

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बक्सर खबर (माउथ मीडिया)। शहर की सड़कों पर कोरोना घूम रहा है। कौन कहता है, वह अनजान दुश्मन है। हम कहते हैं वह दिखाई तो देता है, लेकिन मुंह ढ़ाप लिया है। ए बदे चिन्हाता नहीं है, का समझे। यह कथन हैं बतचुच्चन गुरु के। उनका फोन आया तो मैंने जय राम कहा। लेकिन, उन्होंने मेरी सुनी ही नहीं और शुरू हो गए। बोले देखो गुरू, यहां के मनई सब एतना बकलोल हैं। जेकर कवनो जोड़ नहीं है। अरे उ छपाखाना वाला गलिया में एक मिला के घर घेराया है। पता चला है आइसोलेशन में है। जहां बास लगा है, ओकर आगे मोटरसाइकिल लगा रखा है। घर से निकलता है और बाइक लेके घूमे चला जाता है। ओकर अप्पन गली के लोग भी उसे पहचान न पावे हैं। मुंह पर जाब लगा रहता है।

एही बदे हम कहते हैं, बाजार में कोरोना घूम रहा है। खुदे बचे पड़ेगा, न तो संख्या बढ़ते रहेगा। इस सब समाज के दुश्मन हैं। गली में जमा हो जाता है। आपस में बतियाता है। यहां का प्रशासन अक्षम है। कोरोना के रोक नहीं पा रहा है। ससुर तू कौन सक्षम हो। बाजार जा के कोरोना घरे ले आए। इस सब सुधरे वाला नहीं है। हर मोहल्ला में दारू बेचे वाला है। ओके कुछ लोग गरियाते हैं। लेकिन, पीए वाले सब शरीफ बने बइठे हैं। कहते हैं सरकार दारू रोक नहीं पा रही है। अरे बेचे वाला तू ही हो अउर पीए वाला भी तू ही। त सरकार तोरा घटई में ठेपी लगावेगी। उहे हाल कोरोना के है। सब कहता है अबे का देखे हैं अगिला महीना में विस्फोट करेगा। सुन के हमरा हंसी आवे है। इ सबका पता चल गवा है। संक्रामक बीमारी है, खतरा चारू ओर घूम रहा है। त का जरुरत है, इधर-इधर जावे ला। अरे देखिए जौन मिला सब कल तक दानवीर बन के घूम रहे थे। सब के सब चेत गए हैं। आराम कर रहा है। कहां पहिले सब बंदर, जनावर, मनई सबके राशन भोजन का इंतजाम करता था। लेकिन, अब सब समझदार हो गए हैं।

लेकिन, जवन सब मिला लोफर टाइप घूम रहे हैं। उ समस्या पैदा कर रहे हैं। कुछ मिला प्रशासन के परेशान किए हैं। उहे हाल अस्पताल वालन का है। जौन मरीज हुए हैं। ओके बीटामीन सी की गोली तक नहीं दे पा रहे हैं। हमके पता चला रहा यहां दो वेंटिलेटर आया रहा। रखा हुआ है। कवनों डाक्टर आ नर्स ओकर चला नहीं पा रहे। पूछे पर कहते हैं, ट्रेनिंग नहीं मिला। जौन काम पराइबेट अस्पताल में कम्पाउडर करें है व सरकारी अस्पताल के छह साल डिग्री वाला डाक्टर के न आवे है। का कहिएगा। बतकुच्चन गुरु बोले जा रहे थे। मैंने उनको टोका आप बताइए क्या किया जाए। तब जाकर उन्होंने सांस ली। गंभीर होते हुए बोले गुरू समस्या गंभीर है। नुकसान भी तय है। लेकिन, समझदारी यही कहती है। नुकसान जितना कम हो, वही काम करे चाही। मैंने भी उनकी हां में हां मिलाई। हमने फोन काटा और अपने काम में जुट गया।
नोट-माउथ मीडिया बक्सर खबर का साप्ताहिक व्यंग कालम है। जो शुक्रवार को प्रकाशित होता है। आप अपने सुझाव हमें कमेंट के माध्यम से दे सकते हैं।

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