मृतक के बेटे ने विधायक-एसडीपीओ व थानाध्यक्ष समेत पुलिस कर्मियों के खिलाफ की शिकायत

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– एसपी बोले की जा रही है जांच, दोषियों पर होगी कार्रवाई
बक्सर खबर। बुधवार की रात कोरानसराय थाना के कंप्यूटर कक्ष में फांसी लगा आत्महत्या करने वाले यमुना सिंह ने पिछले कुछ दिनों में काफी प्रताड़ना सही थी। दलित बस्ती के कुछ अपराधिक किस्म के लोग अक्सर उनके दरवाजे पर आकर गाली गलौज करते थे तथा दलित उत्पीड़न ऐक्ट के तहत दर्ज हुए कांड संख्या 123/ 22 को उठाने के लिए दस लाख रूपए देने की मांग कर रहे थे। शीघ्र नहीं देने पर डुमरांव विधायक से दबाव बनवा पूरे परिवार को गिरफ्तार कराने की धमकी दे रहे थे। वे लोग एक दिन मेरे पिता स्व यमुना सिंह के साथ धक्का मुक्की भी किए थे तथा बोले थे कि यदि पैसा नहीं दोगे तो हमारे केस के तहत जल्दी ही राज्य सरकार एक लाख रूपए देगी तब पूरे परिवार को जेल भिजवा दिया जाएगा।

इस दौरान पुलिस प्रशासन से भी उन्हें न्याय नहीं मिला। हालांकि एसपी ने इस मामले की जांच कराने का आश्वासन दिया था। लेकिन बिना पर्यवेक्षण के ही थानाध्यक्ष ने 16 नवंबर की शाम उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। जिससे आजिज होकर उन्होंने ऐसा कदम उठाया। यह कहना है उनके पुत्र अरूण कुमार सिंह उर्फ पिंटू सिंह का। एसपी नीरज कुमार सिंह को दिए आवेदन में पिंटू ने बताया कि थानाध्यक्ष जुनैद आलम, एएसआई गंगा दयाल ओझा, स्थानीय चौकीदार कृष्णा तथा सिपाही मृत्युंजय कुमार और शुभम कुमार द्वारा गिरफ्तारी के दौरान उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया था।  ये लोग उन्हें घसीटते हुए थाना ले गए थे। जबकि रात में मेरे रिश्तेदार सुडु सिंह व चचेरे भाई टुनटुन सिंह उर्फ देवाशीष सिंह थाना पर पहुंचे थे तो उनके पिता स्वस्थ थे। दोनों लोगों ने उन्हें खाना भी खिलाया था। लेकिन रात में उनकी मौत हो गई। पिंटू ने बताया है कि थानाध्यक्ष द्वारा उनके आत्महत्या करने की सूचना तक नहीं दी गई।
झूठे मुकदमें की जांच की लगाई गुहार
एसपी को दिए आवेदन में मृतक के पुत्र अरूण ने यह कांड संख्या 123/ 22 का जिक्र करते हुए कहा कि यह झूठा केस है जिसमें उसके पूरे परिवार को फंसाया गया है। उन्होंने एसपी से इस पूरे मामले की जांच कर उनके परिवार को फर्जी मुकदमें से मुक्ति दिलाने की मांग की है। वही जानकारों का कहना है कि दलित उत्पीड़न ऐक्ट के तहत दर्ज होने वाले अधिकांश मामले आपसी विवाद के होते है तथा राज्य सरकार से मिलने वाले अनुदान के लालच में ही इसे एससी/एसटी ऐक्ट से जोड़ दिया जाता है। अधिकांश मामले चार्जसीट के बाद आपसी समझौते से समाप्त भी होते है।
कहते है एसपी
एसपी नीरज कुमार सिंह ने बताया कि मृतक के पुत्र ने आवेदन दिया है, इसकी जांच की जा रही है। जांच के बाद ही एफआईआर दर्ज कर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।

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