-राजपुर के कठजा गांव में चल रहे सात दिवसीय ज्ञान यज्ञ का समापन
बक्सर खबर। भोजन करना सब जानते है, लेकिन भोजन करना कैसे है इसको सीखने में पूरा जीवन लग जाता है। बोलना सब जानते है, परन्तु बोलना क्या है, कैसे बोलना है इसको सीखने में भी पूरा जीवन लग जाता है। और हमें इन सब की शिक्षा मिलेगी कैसे ? इसके लिए हमें गुरु की जरूरत होती है। भगवान भी शिक्षा और संस्कार के लिए गुरु के पास जाते है। शिक्षा, गोपियों की भक्ति । कंस का वध करने के लिए कम उम्र में मथुरा जाना वैराग्य आदि की व्याख्या करते हुए हरिद्वार की पावन भूमि से आये माया मधुसूदन धाम पीठाधीश्वर वैकुण्ठनाथ स्वामी ने राजपुर प्रखंड कठजा गांव में आयोजित भागवत कथा के दौरान लोगों से कहा जीवन में भक्ति, ज्ञान और वैराग्य तीनों जरूरी।
कथा के दौरान श्री कृष्ण लीला की कथा कहते हुए कंस वध, भगवान रणछोड़ कैसे बने, द्वारिकाधीश बनने तक की कथा कहे । कंस वध की कथा का वर्णन करते हुए बैकुण्ठ नाथ स्वामी जी ने कहा। अक्रूर जी भगवान श्रीकृष्ण को जब वृन्दावन से मथुरापुरी ले जाने के लिए वृन्दावन पहुंचते है। तो पूरे ब्रजमंडल में यह खबर जंगल की आग की तरह फैल जाती है कि हमारे प्राण प्रियतम को कोई परदेसी लेने आया है। हम लोगों से दूर करने के लिए। यानी भगवान को मथुरा लेजाने के लिए। तो वही समाचार सुन सब रात भर जगे रहे। वैकुण्ठनाथ स्वामी ने कहा जिन नैनो में नीर हो वहां निंद कैसे आ सकती है। और वहीं भगवान जब मथुरा जाने लगे तो गोपियों से कहते हैं मैं देवताओं की तरह लंबी उम्र पार करके भी आप सबके ऋण से उरिण नहीं हो सकता।
गोपियों ने भी कहा, हमारी खुशी उसी मे है जिसमें आप खुश हो। स्वामी जी का कहना है। भक्ति यही है जो भगवान के अनुकूलता में रहता हो, वही भक्त है। कथा के दौरान कंस का वध करने के लिए जब भगवान जाने लगते है। उसका वर्णन उन्होंने ऐसे किया मानो सब कुछ नजरों के सामने हो रहा हो। सिर्फ ग्यारह वर्ष के भगवान कृष्ण को मथुरापुरी जाने की खबर जब वृंदावन वासियों को पता चला, सभी का मन दुखी हो गया। मैया यशोदा तो मूर्छित हो गयी। लाखों गोपियां ग्वाल बाल सब रोने लगे। इस भाव को संगीतमय भजन से तेरी अखियां है जादूभरी, बिहारी मैं तो कब से खड़ी। सुन लो मेरे श्याम सलोना तुमने ही मुझ पर कर दिया टोना … भजन पर कथा सुनने पहूँचे श्रद्धालु भक्त झूमते हूए भाव विभोर हो गए।
भगवान अपने उद्देश्य पूर्ती के लिए मथुरा पहुंचते हैं। अपने मामा कंस का उद्धार करते हुए माता देवकी, पिता वासुदेव और नाना उग्रसेन को बंदी गृह से मुक्त कराते है। इसके बाद उग्रसेन को मथुरापुरी का राजा बनाते हैं। यही पर मुंडन संस्कार हुआ। यहां कंस के मारे जाने की खबर जब वृन्दावन के लोगो को मिली तो खुशी से झूम उठे। इसके बाद रणछोड़, द्वारकापुरी के राजा बनने, रुक्मणी जी से विवाह आदि की कथा गीत-संगीत के साथ सुनकर तीन घंटे तक कठजा के अशोक उपाध्याय के दरवाजे पर स्थित शिव मंदिर परिसर में पहुंचे आस पास की कई गांव के ग्रामीण खुब आनंदित रहे।