बच्चों की जान बचाने के लिए प्रशासन सतर्क, डीएम ने दिए सख्त निर्देश बक्सर खबर। मंगलवार को समाहरणालय परिसर स्थित कार्यालय कक्ष में जिलाधिकारी सह अध्यक्ष, जिला स्वास्थ्य समिति, अंशुल अग्रवाल की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई। यह बैठक मस्तिष्क ज्वर यानी एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) के रोकथाम और प्रबंधन को लेकर जिला स्तरीय टास्क फोर्स के तहत बुलाई गई थी। बैठक का उद्देश्य था: समुदाय स्तर पर कार्यरत स्वास्थ्यकर्मियों के बीच AES की जानकारी को स्पष्ट करना। रोकथाम के उपायों को विस्तार से समझाना। क्या है मस्तिष्क ज्वर और क्यों है यह खतरनाक? यह बीमारी 1 से 15 वर्ष के बच्चों को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है। इसके प्रमुख लक्षण हैं: तेज बुखार, चमकी आना, सिरदर्द, बेहोशी और भ्रम की स्थिति। यह बीमारी अप्रैल से नवंबर के बीच ज्यादा तेजी से फैलती है। मृत्यु दर 20 से 30 प्रतिशत के बीच होती है, जो बेहद चिंताजनक है।
कौन होते हैं सबसे ज्यादा जोखिम में? कुपोषित बच्चे। जो बच्चे धान के खेत, सुअरबाड़ा या जलीय पक्षियों के संपर्क में रहते हैं। जो बच्चे भूखे पेट सोते हैं या अधपकी लीची खाते हैं। गर्मी में बिना सावधानी के खेलने वाले बच्चे।
बचाव के लिए ध्यान रखने योग्य तीन जरूरी बातें:
1. बच्चों को रात में भरपेट भोजन और कुछ मीठा जरूर दें। 2. रात में और सुबह उठते ही बच्चों की स्थिति की जांच करें।3. यदि बच्चे को बेहोशी या चमकी का दौरा आए तो तुरंत 102 एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाएं। सावधानियां जो जान बचा सकती हैं: तेज धूप से बचाव करें। दिन में दो बार नहलाएं। रात में पेट भरकर सुलाएं। लक्षण दिखते ही ओआरएस या चीनी-नमक का घोल पिलाएं।डीएम ने दिए अहम निर्देश: सिविल सर्जन को निर्देश: वीएचएसएनडी दिवस पर आशा और एएनएम से बच्चों की स्वास्थ्य जांच कराएं।102 एंबुलेंस की सुविधा हर हाल में सुनिश्चित करें। परिवहन विभाग: मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना के तहत मरीजों को अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था करें। दूरी के अनुसार नगद भुगतान की भी व्यवस्था होगी। नगर निकाय: फॉगिंग और सफाई विशेषकर सुअरबाड़ा और महादलित टोला में नियमित रूप से कराएं। शिक्षा विभाग: प्राथमिक विद्यालयों में जागरूकता अभियान चलाएं और अभिभावकों को भी जानकारी दें।