बक्सर खबर। इस गांव में समस्या है। वहां नाली का पानी जाम है। यहां गली निर्माण में धांधली हो रही है। इसकी शिकायत लोग अक्सर फोन से करते हैं। किसी न किसी अधिकारी को फोन मिलाते हैं। कुछ तो अपनी भड़ास निकालने के लिए डीएम को फोन मिलाते हैं। अक्सर जब कार्रवाई नहीं होती तो यह कहते हैं। सब मिले हुए हैं। कोई नहीं सुनता। इस तरह की समस्याओं को निपटाने के लिए बिहार सरकार ने लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम 2015 लागू किया है।
अगर आप स्वयं अथवा जन समस्या के बारे में निदान चाहते हैं। तो अधिकारी को फोन करने से बेहतर है लोक शिकायत कार्यलय में आवेदन करें। जिससे आपकी समस्या का निदान होगा। साथ ही संबंधित अधिकारी की जवाबदेही भी बनेगी। वे आपकी समस्या को सुन टाल-मटोल नहीं कर सकेंगे। उन्हें तय समय सीमा के अंदर उसका निदान करना होगा। अथवा उसका जवाब देना होगा। वह भी कागजी रुप से। पिछले दिनों जिलाधिकारी राघवेन्द्र सिंह ने भी इस लोक शिकायत अधिनियम 2015 को प्रभावी बनाने की बात कही।
उनके द्वारा सिमरी के सिंघनपुरा निवासी विनय कुमार ओझा की शिकायत का जिक्र भी किया। जिन्होंने पिछले वर्ष 18 मई को सामुदायिक भवन में अतिक्रमण की समस्या रखी। सुनवाई शुरू हुई और दो माह के अंदर 17 जुलाई को प्रशासन ने सामुदायिक भवन को मुक्त करा दिया। इस कानून को अधिकार समझ वैसे सभी लोग हथियार बनना सकते हैं। जिनकी समस्या का समाधान प्रशासनिक सहयोग के बगैर संभव नहीं है।