बक्सर खबर : जिस बीमारी का नाम सुनकर लोगों के जिस्म में थरथराहट भर जाती है, उसके सामने दीवार खड़ी कर रहा है अपने डुमरांव का लाल जी हां ! कैंसर से दो-दो हाथ करने को तैयार हंै अपनी मिट्टी के डा.अरूण कुमार। कैंसर के खात्में को लेकर जीवन के लक्ष्य से जोडऩे वाले डुमरांव के खंडरीचा गांव के एयर फोर्स के आफिसर मोतीलाल प्रसाद और प्रभावती देवी के सबसे छोटे पुत्र हैं अरूण कुमार। वर्ष 2008 से अरूण बतौर वैज्ञानिक पटना के महाबीर कैंसर संस्थान में शोध कार्य में जुट गए।
आर्सेनिक युक्त जल के प्रभाव पर किया शोध– सिमरी में आर्सेनिक युक्त जल के अध्ययन के दरम्यान तिलक राय का हाता की बदहाल स्थिति की जानकारी मिली। बकौल डा. कुमार शोध से पता चला यहां पानी में आर्सेनिक की मात्रा 1929 पीपीडी है। यहां के लोगों के रक्त में 505.2 पीपीडी पाई गई। इसी कारण यहां कैंसर, चर्म रोग एवं पेट रोग के रोगी अधिक पाए गए। बर्ष 2016 में इस क्षेत्र के लोगो की गंभीरता से जांच की गई । जांच के दरम्यान कैंसर के 13 गंभीर रोगी पाए गए।
-शोध का रिजल्ट-डा. कुमार ने बताया कि शोध के दौरान पता चला कि आर्सेनिक मानव शरीर को कैसे प्रभावित करता है। यह सबसे पहले आरवीसी को डैमेज करता है। बाद में डीएनए से जुड़कर म्यूटेशन के माध्यम से कैंसर का कारक बनता है।
निराकरण का प्रयास जारी- बकौल डा.कुमार जो चूहे कैंसर से ग्रसित नहीं थे। उन्हे आर्सेनिकयुक्त पानी पिलाया गया। औषधीय पौंधों के माध्यम से इलाज भी चलता रहा। इसका प्रभाव इस कदर पड़ा कि उन चूहों के डीएनए से बचाया जा सका। यानि म्यूटेशन की प्रक्रिया को रोक कर कैंसर नहीं होने दिया गया। डा. कुमार कहते है कि मानव पर प्रयोग भी जारी है लेकिन शोध के निष्कर्ष तक पहुंचे बिना उसे प्रकाशित करना उचित नहीं है।