‌‌‌ जिलाधिकारी की लगन से जिले को फिर मिला प्रदेश में प्रथम स्थान

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-लोक शिकायत की सुनवाई के लिए बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन जारी करता है रैंक
बक्सर खबर। जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय को प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। साथ ही दायर परिवादों के निस्तारण में बक्सर जिले को दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है। यह रैंकिंग बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी पटना द्वारा जारी की गई है। अगस्त माह के दौरान हुए कार्य के आधार पर यह स्थान मिला है। हालांकि प्रत्येक माह इसकी रैंकिंग जारी होती है। जिसमें जिला एवं अनुमंडल लोक शिकायत निवारण कार्यालय शामिल होते हैं। विदित हो कि बक्सर जिला को माह जुलाई एवं जून में द्वितीय स्थान, माह मई एवं अप्रैल में तृतीय स्थान एवं मार्च में द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ था। साथ ही जुलाई माह में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ था।

प्राप्त रैंकिंग के अनुसार बक्सर जिला में दिनांक 01 अप्रैल 2022 से अब तक कुल 12880 परिवाद दायर किये गये। जिनमें कुल 12687 परिवादों का निष्पादन कर दिया गया है। साथ ही अगस्त माह में कुल 417 परिवादो का निष्पादन किया गया व निष्पादित सभी परिवाद तय समय सीमा अवधि के अंतर्गत निष्पादित किए गए। बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम को 06 जून 2016 को बिहार में लागू किया गया है। इस अधिनियम के अन्तर्गत आमजनों द्वारा दायर किये गये परिवाद पर सुनवाई कर उनके शिकायतों का निपटारा किया जाता है। इस अधिनियम की खासियत है कि परिवादी और लोक प्राधिकार को आमने-सामने बैठाकर परिवादों का सफलतापूर्वक निष्पादन किया जाता है। यह कानून नागरिकों को उनके शिकायतों की सुनवाई निवारण और लिए गए निर्णय पर संचार का अवसर देने का कानूनी अधिकार देता है।

अगर किसी लोक प्राधिकारी द्वारा परिवाद के निवारण में अभिरुचि नहीं ली जाती है अथवा तय सीमा में परिवाद का निवारण नही किया जाता है तो उनके विरूद्ध नियमानुसार शास्ती या अनुशासनिक कार्रवाई की जाती है। जिले में अब तक कुल 107 लोक प्राधिकार पर 217500 रुपये कि शास्ती की गयी है। साथ ही कुल तीन लोक प्राधिकार पर अनुशासनिक कार्रवाई कि गई है। यह इसलिए संभव हो सका है क्यूं जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल इसकी तत्परता से सुनवाई करते हैं। साथ ही अन्य संबंधित पदाधिकारियों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं। आम जन के प्रति उनकी संवेदनशीलता जनता दरबार में भी दिखती है। प्रत्येक सप्ताह में बुधवार और शुक्रवार को वे लोगों से मिलते हैं और उनकी शिकायत सुनते हैं। भले ही उन्हें इसके लिए उन्हें जिले के अंतिम छोर से जिला कार्यालय की दौड़ लगानी पड़ती है।

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