माउथ मीडिया : बक्सर खबर। छठ का महापर्व गुजर गया। मैं भी आमजन के साथ छठ घाट पहुंचा था। शाम होते ही लोग घरों की तरफ लौट चले। मैं भी घर लौटने की जुगत में था। तभी बतकुच्चन गुरु से मुलाकात हो गई। नाथ घाट के पास। मुझे देखते ही अपने चीर-परिचित अंदाज में बोले का गुरू। आजकल बहुते शोरगुल है तोहरे मीडिया के गली में। उनकी बात सुन मैं चकराया। वे कहना क्या चाहते हैं। लेकिन जब बतकुच्चन गुरू सामने हों तो बहुत परेशान होने की जरुरत नहीं। वे तो स्वयं ही हर रहस्य से पर्दा उठा देते हैं। यह सोच कर मैंने अनभिज्ञता जताते हुए उनकी तरफ देखा।
वे बोले आज कल बड़ा हल्ला मचा हौ। सुने हैं कि सुशासन में कौवनो मिला पीके आया है। हम तो बहुत हैरान है। पीके आ गया और कवनों मनई ओकरा टोके भी नहीं। कवनो बड़ा गेम होगा लगता है। उनकी बातें सून मैं सोचने लगा। लगता है आज गुरू नेता सब की खींचाई करेंगे। लेकिन अचानक से एकदम पलटा मार के हमारी तरफ मुखाबित होते बोले। कुछ समझ में आ रहा है तो..के। मैंने ना में सर हिलाया। अब क्या था शुरू हो गए और एक दम से बरश पड़े। तो के कब्बो न बुझाएगा। तू लिखे हो कि कोई से मांग के छापे हो। घबराओ नहीं आज कल मौलिकता वालन के कवनो पूछता भी न हैं।
जौन चमचा है ओही सब के बहार है। जौन पत्रकार लड़े भीड़े का हिम्मत रखे हैं। ओकरे खिलाफ सब बेइमान गोलंबद हो जावे हैं। तो रे जइसन लोग पियासे रह जाएंगे। उ सब पी के भी बंशी बजावेंगे। उन्होंने फिर मुझे टोका, गुरू तो हे कुछ समझ में आ रहा है? मैं क्या कहता भला उनका मुंह देख रहा था। वे थे कि मुझे घेरे जा रहे थे। फिर बोलने लगे, लोग चलेंगे पी के आप क्या करेंगे खून चेक करावेंगे। उ मिला एगो जाएगा तो दूसरे के हिस्सा मांग के ले आएगा। तू लोग आपसे में लड़ के हर जाएगा। मैं चुपचाप उनकी बाते सुन रहा था। मुझे लग रहा था वे बड़े भारी मन से मुझे उलाहना दे रहे हैं। क्योंकि वे आज पहली बार मुझसे नजर नहीं मिला पा रहे थे। जाते-जाते मुझसे दुआ सलाम भी नहीं कर गए। यह कहते चले जा रहे थे अरे नेता विधायक की जै नहीं कर सकते मत करो। लेकिन, ओ सब के चमचा से दूर रहो। दो दिन हो गए, मैं समझ नहीं पा रहा बतकुच्चन गुरू कहना क्या चाह रहे थे। मेरा स्वभाव तो वे जानते ही हैं। हो सकता है वे चमचो और पेशाकारों की बैंड बजावे ला इशारा कर रहे हों।