बक्सर खबर।( माउथ मीडिया) : बड़े दिनों बाद बतकुच्चन गुरू से मुलाकात हुई। गुरुवार की शाम उनकी खनकती आवाज कानों में आई। हाल-चाल हुआ। तो ऐसा लगा बहुत खुश हैं। रह-रह कर हंस भी रहे थे। मैं सोच रहा था। शहर में गुस्सा है। दो दिन से प्रदर्शन हो रहा है। जरुर कुछ उसी पर बोलेंगे। मैंने पूछा क्या बात है। आज बहुत खुश हैं। क्या हुआ। वे बोले, प्याज की चर्चा चहुओर हो रही है। क्योंकि हर किसी को उसकी जरुरत है। अइसन में एगो नेता जी बोलिन है कि उ पियाज न खाबो। इतना कह कर वे हंसने लगे। फिर रुके और बोले। कवनो मिला इ नहीं कहता है। हम कमीशन ना खाबो। अरे पिआज खावे से धर्म न खराब होवे है। लेकिन, कमीशन खाए से देश अउर धरम दुनों के नुकसान होवे है। मैं समझ गया। आज बतकुच्चन गुरू प्याज पर केन्द्रीत हैं।
मैंने उनको टोका। गुरू समस्या का कुछ निदान है क्या। क्योंकि जब सब परेशान हों तो निदान की चर्चा करना ही सबसे जरुरी है। वे बोलने लगे। अरे गुरू यहां सब पजामा है। इ देश में पिआज पर बहस होवे है। आज देश के रुपया और समय दोनों पिअजुआ खुदे खा रही है। लोगन के समझना चाहिए। महंगा बेचे वाले बेंचे। हम ना खरीदेंगे। बेचे वाला भी सब समझदार है। परब त्योहार बिता के महंगा कर दिहिस है। मीडिया वालन के भी मौका मिलल हौ। कब-कब महंगी भई, काहें भई, कितने में बिके हौ। कुछ मिला तो बता रहे हैं। बेचारी गोदाम से चोरी होई जा रही है। बनिया- बेताल सब सारे परेशान बाटन। मैं सोच रहा था। आखिर प्याज को लेकर इतनी चर्चा क्यूं हो रही है। देश में गुस्सा है। एक तरफ दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर आक्रोश है। दूसरी तरफ कुछ प्याज-प्याज कर रहे हैं। बतकुच्चन गुरू अलग हंसे जा रहे हैं। मैंने उनसे चलने की इजाजत मांगी। वे बोले जा, घर जा, हमरे हंसी पर ध्यान न देउ, पियाज बदे हम हंसे हैं। देश के जनता तो रोवे है।