बक्सर खबर। गंगा नदी में शुक्रवार की सुबह सात-आठ लाशें देखने को मिली। यह नजारा नाथ घाट और किला के पास का था। वहां स्नान करने गए सेवा निवृत फौजी प्रेमप्रकाश पांडेय की नजर उनपर पड़ी। फौजी स्वभाव के व्यक्ति ने पहले डीएम को फोन किया और खरी-खोटी सुनाई। देश में नमामि गंगे अभियान चल रहा है। गंगा स्वच्छता पर करोड़ो खर्च हो रहे हैं। लेकिन बिहार में इसकी धज्जियां उड़ रही हैं। यहां शव पानी में प्रवाहित हो रहे हैं। यह तो गैर कानूनी है।
डीएम ने उन्हें कार्रवाई का आश्वासन दिया। लेकिन घंटो गुजर गए कुछ नहीं हुआ। यह देख प्रेमप्रकाश नाथ घाट पर ही अनशन पर बैठ गए और इसकी सूचना मीडिया को दी। यह खबर सदर एसडीओ के के उपाध्याय को मिली। पहले से डीएम की सूचना आ ही चुकी थी। वे मौके पर लोगों को लेकर पहुंचे। फौजी का अनशन तुड़वाया। साथ ही गंगा किनारे गड्ढ़ा खोदकर सभी लाशों को दफनाया गया। तब जाकर प्रेमप्रकाश वहां से हटे।
उन्होंने बताया पहले मैंने डीएम को फोन किया। जब बात नहीं बनी तो अनशन पर बैठा। मैं पांडेयपट्टी निवासी ब्रह्मानंद पांडेय का पुत्र हूं। कारगिल युद्ध लड़ा है। मध्य प्रदेश में रहता हूं। वहां गौ रक्षा समिति का संयोजक हूं। आज जब गंगा स्नान करने नाथ घाट आया तो यहां का नजारा देख मन दुखी हो गया। आज गंगा स्वच्छता के लिए एक अलग मंत्रालय काम कर रहा है। लेकिन, यहां का नजारा तो यही बता रहा है करोड़ो रुपये बर्बाद हो रहे हैं। इसका कोई मतलब नहीं है। प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए। अथवा गंगा में शव प्रवाहित करने पर लगी रोक को ही हटा लेना चाहिए। आस्था और धर्म के नाम पर किसी को ऐसा करने की छूट नहीं मिलनी चाहिए।