बक्सर खबर। वर्ष 2016 में छात्रवृति घोटाला हुआ था। तत्कालीन कल्याण पदाधिकारी राकेश त्रिपाठी समेत 12 पदाधिकारियों पर मुकदमा हुआ था। इसके अलावा आठ फर्जी विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों पर भी मुकदमा हुआ। जिनको 2 करोड, 10 लाख 13 हजार रुपये की राशि दी गई थी। इस मामले में सुनवायी करते हुए आज गुरुवार को मुख्य न्यायिक पदाधिकारी राकेश कुमार ने मुख्य आरोपी राकेश त्रिपाठी और एक स्कूल के प्राचार्य रवि प्रकाश सिंह को सजा सुनाई। इन दोनों को छह वर्ष की सजा सुनाई गई है। मुकदमें की पैरवी कर रहे लोक अभियोजक महेन्द्र कुमार व उनके सहायत राकेश राय ने बताया कि 21 मई 2016 को नंद किशोर प्रसाद अनुमंडल कल्याण पदाधिकारी डुमरांव ने यह मुकदमा दर्ज कराया था।
उनके अनुसार आठ फर्जी विद्यालयों को छात्रवृति की राशि दी गई। जांच में वे सभी गलत पाए गए। मुकदमें में तत्कालीन जिला कार्यक्रम पदाधिकारी रामनाथ राम भी आरोपी बनाए गए थे। अन्य सभी लोगों के विरूद्ध अनुसंधान जारी है। फिलहाल इन दो को सजा हुई है। साथ ही दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यहां आपको हम बता दें। तत्कालीन कल्याण पदाधिकारी राकेश त्रिपाठी पिछले तीन वर्ष से जेल में हैं। उनका पक्ष था कि मुझे इस मामले की जानकारी नहीं थी। मेरा हाल ही में यहां स्थानांतरण हुआ था। आने से पहले ही यहां जिले में यह खेल चल रहा था। लेकिन, जांच रिपोर्ट उनके विरूद्ध थी। नतीजा न्यायालय ने आज उनके विरूद्ध सजा सुनाई।