—— योगोत्सव पर 1500 लोगों ने किया योगाभ्यास बक्सर खबर। भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर स्थानीय फाउंडेशन स्कूल में भव्य सांस्कृतिक और शैक्षणिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विद्यालय परिसर देशभक्ति और संवैधानिक मूल्यों के रंग में रंगा नजर आया। कार्यक्रम में विद्यालय के संस्थापक प्रदीप मिश्रा, निदेशिका मोनिका दत्त, मेंटर डॉ. राजेश्वर सर, चेयरपर्सन कमरून निशा तथा साबित खिदमत फाउंडेशन के फाउंडर व जन सुराज पार्टी के प्रवक्ता साबित रोहतासवी और पूर्व उपमुख्य पार्षद व वर्तमान में वार्ड पार्षद इंद्र प्रताप सिंह (बबन सिंह) विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
छात्र-छात्राओं ने डॉ. अंबेडकर के संविधान निर्माण में योगदान को प्रभावशाली नाट्य रूपांतरण, संवाद और मंचन के जरिए प्रस्तुत किया। 14 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि में पं. जवाहरलाल नेहरू द्वारा दिए गए ‘त्रिस्ट विद डेस्टिनी’ भाषण का मंचन देखकर दर्शक भावविभोर हो उठे। एक अन्य प्रमुख प्रस्तुति में छात्रों ने 1932 के ऐतिहासिक पूना समझौते को मंच पर जीवंत किया, जिसमें डॉ. अंबेडकर और महात्मा गांधी के बीच हुए ऐतिहासिक वार्ता और समझौते को प्रभावी रूप में दर्शाया गया। साथ ही संसद भवन के मॉडल के माध्यम से छात्रों ने भारत के मौलिक अधिकारों, कर्तव्यों और सामाजिक-आर्थिक न्याय पर संवाद प्रस्तुत किए, जो संविधान के प्रति जागरूकता का जीवंत उदाहरण बने।
कक्षा 7वीं से 10वीं तक के छात्रों ने समूहों में संविधान की महत्ता और समानता के अधिकार पर आधारित संदेशों के माध्यम से उपस्थित जनसमुदाय को संवैधानिक मूल्यों के प्रति सजग और प्रेरित किया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य डॉ. अंबेडकर के विचारों, संघर्ष और आदर्शों को नई पीढ़ी तक पहुंचाना था। कार्यक्रम का समापन ‘जय भीम, जय संविधान’ के जोशीले नारों के साथ हुआ, जिससे समस्त परिसर में गर्व और प्रेरणा का वातावरण बन गया।

वहीं दूसरी ओर मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान, आयुष मंत्रालय तथा आर्यावर्त सिद्धान्त संरक्षक न्यास के संयुक्त तत्वावधान में स्थानीय फाउंडेशन स्कूल में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में 68 दिन पूर्व योगोत्सव का भव्य आयोजन किया गया। इस आयोजन में फाउंडेशन स्कूल के विशाल परेड ग्राउंड पर 1500 से अधिक योग प्रेमियों ने भाग लेकर योग की गरिमा को आत्मसात किया। कार्यक्रम की शुरुआत हरित योग की भावना को समर्पित वृक्षारोपण से हुई। तत्पश्चात दीप प्रज्वलन, शंखनाद एवं वैदिक मंगलाचरण के साथ शुभारंभ किया गया। ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ की थीम पर आधारित इस आयोजन का संचालन शिक्षक अभिराम ने ओजपूर्ण वाणी में किया।

योगाचार्या यशिता शर्मा एवं उनकी टीम ने पारंपरिक योग के विविध रूपों का अभ्यास करवाया। ओंकार निनाद से शुरू हुई योग यात्रा में ग्रीवाशक्ति विकासक, ताड़ासन, प्राणायाम, योगनिद्रा, ध्यान एवं शांति श्लोकों का सामूहिक वाचन हुआ। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक ने पूर्ण समर्पण के साथ योग प्रोटोकॉल का अभ्यास किया। विद्यालय के प्रधानाचार्य विकास ओझा ने विशिष्ट अतिथियों को पुष्पहार, अंगवस्त्र और पर्यावरण संरक्षण हेतु वृक्ष भेंट कर सम्मानित किया। तीन दिवसीय योगोत्सव के पहले दिन चित्रकला एवं निबंध प्रतियोगिता, दूसरे दिन योगासन प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें विभिन्न स्थानों से आये प्रतिभागियों ने भाग लिया। योग एवं आयुर्वेद के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने वाले आचार्यों व समाजसेवियों को भी सम्मानित किया गया। प्रतियोगिता में स्थान प्राप्त साधकों को प्रमाण-पत्र और उपहारस्वरूप वृक्ष प्रदान किए गए। मुख्य अतिथि पद्मश्री संतोष यादव ने कहा, “योग हमारे मनीषियों की तपस्या का फल है, जिसे हम सहजता से प्राप्त कर रहे हैं।” प्रो. जयप्रकाश ने कहा कि “योग ही वह मार्ग है जो जीवन के समस्त कष्टों का निवारण कर सकता है।” काशी से पधारे योगी गोपाल ने दीपयोग व कठिन आसनों की प्रेरणादायक प्रस्तुति दी, वहीं योगगुरु वर्षा पाण्डेय ने योग की अनिवार्यता पर प्रकाश डाला।