बक्सर खबर : गांव का लड़का, जब पढ़ाई करने शहर जाता है। उसके साथ पूरे परिवार के अरमान भी जाते हैं। सामान्य परिवार के लोग अपनी बचत का बड़ा हिस्सा बच्चे की अच्छी पढ़ाई के लिए खर्च करते हैं। ऐसे में अगर कोई होनहार आरक्षण के कारण अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाए। तो उसे कितना दर्द होता होगा। ऐसा ही हुआ है पंचदेव पाठक के साथ। सिमरी के नियाजीपुर गांव के पास बसे ब्रह्मचारी जी के टोला निवासी गंगेश्वर पाठक के पुत्र हैं। पिता जी आदर्श हाई स्कूल बड़का राजपुर में शिक्षक थे। जो अब सेवा निवृत हो गए हैं।
पिता ने बेटे को इंजीनियरिंग की तैयारी लिए कोटा भेजा। पढ़ाई पूरी कर पंचदेव मैकेनिकल इंजीनियर बने। होंडा कंपनी ने मोटे पैकेज पर उन्हें नौकरी दी। एक वर्ष बाद दिसम्बर 2015 में पंचदेव ने वह नौकरी छोड दी। उन्होंने तय किया, सिविल सेवा में जाना है। देश और समाज की सेवा करनी है। अगस्त में 16 में प्रारंभिक परीक्षा थी। समय कम था इस लिए बगैर किसी कोचिंग के पंचदेव ने प्री और मेन्स की परीक्षा पास कर ली। नौजवान के हौंसले बढ़ते गए।
21 मार्च को इंटरव्यू के लिए बुलाया। एक के मित्तल बोर्ड के सात सदस्यों ने चालीस मिनट तक पूछताछ की। 31 मई 2017 को रिजल्ट आया। पंचदेव का नाम उसमें नहीं था। इसके बाद नंबर जारी हुए। जिसमें पता चला 984 नंबर मिले हैं। जेनरेल का कटअफ 988 था। अर्थात 4 नंबर से गांव का एक युवक चयनित नहीं हो पाया। परीक्षा परिणाम आने के लंबे समय बाद बक्सर खबर से बात हुई। आरक्षण के शिकार हुए इस युवक का दर्द सुनने के बाद हमारी भी सहानुभूति है। वर्ष 2018 की परीक्षा सामने है। किसी ने कहा है परिश्रम करने वाले की कभी हार नहीं होती।
Fake news chalaane waale saavdhaan…main ye news cyber crime me send kr raha hu.