“मैं बक्सर का बागी हूं और यह बागी का बक्सर है” बक्सर खबर। जिले के प्रतिष्ठित स्वतंत्रता सेनानी और समाजसेवी बद्री सिंह ‘बागी’ की स्मृति में रविवार को एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम स्थानीय पीपी रोड स्थित बागी जी के हाता में संपन्न हुआ। खास बात यह रही कि आज ही के दिन उनकी जयंती और पुण्यतिथि, दोनों थी, क्योंकि 2 फरवरी 1994 की सुबह उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता बालक दास ने की, जबकि संचालन युवा नेता रामजी सिंह ने किया। इस दौरान उपस्थित लोगों ने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनके व्यक्तित्व, ओजस्वी भाषणों और निर्भीक तेवरों को याद किया।
सभा में वक्ताओं ने कहा कि बागी जी बक्सर के स्वाभिमान का प्रतीक थे। वे हमेशा कहा करते थे “मैं बक्सर का बागी हूं और यह बागी का बक्सर है।” वे जीवनभर दबे-कुचलों की आवाज बने रहे और कई आंदोलनों को नेतृत्व दिया। इस मौके पर शिवप्रकाश राय, अनिल त्रिवेदी, प्रदीप शरण, नागेंद्र मोहन, प्रमोद केशरी, दिलीप राम, जितेंद्र ठाकुर, मुन्ना पांडेय, श्याम प्रकाश सिंह समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। अंत में कामेश्वर पांडेय ने धन्यवाद ज्ञापन किया। वहीं दूसरी तरफ भाजपा के पूर्व नगर अध्यक्ष माधव चन्द्र श्रीवास्तव ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, बागी जी का अदम्य साहस और संघर्ष आज भी लोगों के दिलों में जीवित है। उनके विचार आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देते रहेंगे। उन्हें याद करते हुए उन्हीं के जुबान में कहा कि “किसी मजलूम के हक को दिला देना अगर बगावत है, किसी जालिम के सर को झुका देना बगावत है, तो समझो हम भी बागी है, बागी नाम है मेरा, बगावत काम है मेरा, मिटा दूं जुर्म की हस्ती यही अरमान है मेरा ” अक्सर वें कहा करते थे।