बक्सर खबर, माउथ मीडिया । बतकुच्चन गुरू पिछले कुछ दिनों से नाराज चल रहे हैं। वजह, उनकी एक बात पर मैने ध्यान नहीं दिया। या यूं कहें उनकी कड़वी बात को मैं अपने कागज पर उतार नहीं सका। पिछले दफे गांधी जंयती पर मिले थे। उनका तेवर इतना तल्ख था कि मैं चाहकर भी उसे लिख नहीं पाया। वे सीधे बोल गए। पांच सौ में गांधी जी, पांच हजार में मीडिया। अक्सर वे दूसरों से ऐसी बाते करते हैं। लेकिन, उस दिन तो जैसे मुझ पर ही खफा थे। मैंने कहा आप ऐसा कैसे कह सकते हैं। उन्होंने कहा था। अरे महाराज गांधी जयंती पर हमरी मुलाकात एक नेता से हुई रही। जौन कार्यक्रम मनावेला योजना बना रहा था। ओकर कहना था, दो सौ में बैनर, उतने का फोटो, सौ रुपया के फूल। पांच सौ में निपट जाते हैं गांधी जी।
लेकिन, अगर ओके सब मीडिया में छपवाना होतो पांच हजार रुपये का खर्चा है। अब तो ऐसा दौर आ गया है। एक आदमी आता है। कहता है, सब जगह छपवा देंगे। एतना खर्चा आएगा। टेंडर का दौर चल रहा है। मैंने जवाब दिया, मनाया है तो मनावे। मीडिया में छपना का जरुरी है। आपको और कहीं भ्रष्टाचार नहीं दिखता। आप ले दे कर मीडिया पर ही गुस्सा निकालते है। वे बोले अरे गुरू नाराज काहे होवत हौ। हम कोई पर आरोप न लगावे हैं। तो के शहर का हाल बतावे हैं। भ्रष्टाचार बोलेतो ओकर प्रभाव हर जगह देखे बदे मिलत हौ। एक मनई यहां पुलिस चौकी पर मिला रहा। ओकर कहना था, हमार सरवा अपना भांजा के ही फसा दिया है। अपन मुडिया टेबुल में लड़ा के फोड़ दिहिस। अस्पताल में गवा उहां डाक्टर चोट देखीन। जब गांधी जी के फोटो देखिन त चोट के भारी जख्म लिख दिहिन। पुलिस कहे है, तोहरा पर सात साज देंगे। सीधे भित्तर जाने पड़ेगो। उ मनई हमसे पूछे रहा। कवनो मिला अइसन हौ का जो हम्मर मदद कर देवे। हमहू कछु सेवा कर देंगे। इतना सुनने के बाद मैंने उनसे पूछा। क्या इसका कोई निदान नहीं है। बतकुच्चन गुरू जोर से हंसे। बोले अरे गुरू, आज के दौर में पुलिस हो, अफसर हो, मीडिया हो सब मिला यही सवाल पूछते हैं। क्या सबुत है आपके पास, आप सच बोल रहे हैं। इ जमाना में सच के सच साबित करेला सबुत के जरुरत हौ। हम्मर बात समझे की ना ही। उनकी बात सून मैं वापस लौट गया था। तब से लेकर आज तक उनकी बात मेरे जेहन में चुभ रही थी। सो मैने आज अपना बोझ उतारने की ठानी। (माउथ मीडिया एक व्यंग कॉलम है, जो सप्ताह में शुक्रवार को प्रकाशित होता है। आप अपने सुझाव हमें दे सकते हैं)