बक्सर खबर। गणेश चतुर्थी व्रत सोमवार को मनाया जाएगा। माघ मास के प्रारंभ होना वाला व्रत शुभ फल देने वाला होता है। परिवार और पुत्र की मंगल कामना का व्रत करने के उपरांत संध्या वेला में भगवान चन्द्रमा को अर्घ दिया जाता है। व्रति महिलाएं गुड और तील का प्रसाद बनाती हैं। भगवान गणेश शुभ फल देने वाले देवता हैं। इस लिए उनकी पूजा का अर्थ है। कष्टों का निवारण। वैसे ग्रामीण इलाके में इसको लेकर कई कथाएं भी प्रचलीत हैं। जिसका पाठ महिलाएं पुस्तकों के आधार पर करती हैं। लेकिन, अर्घ के समय बहुत से लोग मंत्रों के प्रयोग पर ध्यान नहीं देते। जिसे आप यहां पढ़ और जान सकते हैं। पंडित नरोत्तम द्विवेदी ने बताया सोमवार की संध्या 8:14 बजे इस वर्ष चन्द्रोदय का समय है। हांलाकि मौसम के कारण कहीं-कहीं चांद समय से दिखाई नहीं भी देगा। लेकिन, गणना के अनुसार इस समय पर ही उनका उद्य होगा।
इस मंत्र से चन्द्रमा के अर्घ देने से होती है मनोकामना पुरी
बक्सर खबरः चन्द्रार्घ मंत्र– ॐ क्षीरोदार्णव सम्भूत अत्रि गोत्र समुद्भव।
ग्रहाण अर्घ्यं शशांकेद रोहिणी सहितो मम।।
प्रदक्षिणा मंत्र- यानि कानि च पापानि जन्मांतरेव कृतानि च।
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणा पदे पदे।।
पाँच बार अर्घ्य एवं पाँच प्रदक्षिणा चन्द्रमा का करने का शास्त्रीय विधान है।