-रात 8:37 के बाद होगा अर्घ्य दान
बक्सर खबर। तीन सितंबर को गणेश चतुर्थी व्रत मनाया जाएगा। इसका शास्त्रीय नाम संकष्टी (बहुला) गणेश चतुर्थी व्रत है। हालांकि इसे बोलचाल में लोग गणेश चौथ भी कहते हैं। भगवान गणेश की पूजा अर्चना कर माताएं कथा सुनती हैं। और जब चन्द्रोदय हो जाता है तो भगवान को अर्घ्य अर्पित करती हैं। ज्योतिष गणना के अनुसार रात्रि 08:37 बजे चन्द्रोदय होगा। इसके उपरांत व्रती महिलाएं अर्घ्य दान करेंगी। संतान की सलामती और परिवार में मंगल के लिए यह पूजा होती है। हालांकि इसमें अर्घ्य का भी अपना अलग मंत्र है। जो व्यक्ति व्रती महिलाओं को अर्घ्य अर्पित कर रहा है। उसे यह मंत्र दोहराना चाहिए।
अर्घ्य दान का मंत्र
बक्सर खबर। चन्द्रार्घ मंत्र-
ॐ क्षीरोदार्णव सम्भूत अत्रि गोत्र समुद्भव।
ग्रहाण अर्घ्यं शशांकेद रोहिणी सहितो मम।।
प्रदक्षिणा मंत्र-
यानि कानि च पापानि जन्मांतरेव कृतानि च।
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणा पदे पदे।।
पांच बार अर्घ्य एवं पांच प्रदक्षिणा चन्द्रमा का करने का शास्त्रीय विधान है। आज ही के दिन कुवांरी कन्यायें बहुला व्रत रखती है। सायं काल होने पर मिट्टी या गोबर से गाय बछड़े, पहाड़ एवं बाघ की प्रतिमा बनाकर पीढ़ा पर स्थापित कर गणेश सहित पूजा करती है। और अपनी मनोकामना सिद्धि हेतु विशेष प्रार्थना करती है।
जाने क्या है बहुला कथा
बक्सर खबर। इसका विस्तृत वर्णन बहुला व्रत कथा में है। बहुला नामक गाय बछड़े सहित जंगल मे चरती है, उसी समय एक बाघ आता है। गाय का शिकार करने। बहुला गाय कहती है मैं अपने बछड़े को भर पेट दूध पीलाकर बछड़े को सुरक्षित करके आऊगी तो मेरा शिकार करना। बहुला गाय गणेश जी की भक्त थी। बहुला बचन पूरा करने हेतु जब आती है, तो बाघ भी विचलित हो जाता है और बहुला को अभय दान दे देता है। अंत मे बाघ का भी उद्धार हो जाता है। संकष्टीगणेश पूजन एवं व्रत से जहाँ कामनाओं की सिद्धि होती है,वहीं संकट का नाश भी होता है।