बक्सर खबर। पाठक नामा :
लोग धर्म का अनुसरण करने में तरह-तरह प्रपंच करते हैं। शवों को जलाने की जगह उन्हें गंगा में प्रवाहित करते हैं। जिसे पर्यावरण एवं गंगा की स्वच्छता दोनों का नुकसान हो रहा है। यह समस्या धीरे-धीरे विकराल रुप लेती जा रही है। क्योंकि गंगा का जलस्तर लगातार हम होता जा रहा है। बरसात के मौसम को छोड़ दें तो अक्सर शहर के किसी ने किसी घाट के पास गंगा में शव दिख जाते हैं।
उनसे उठती दुर्गंध गंगा स्नान करने वालों के लिए समस्या बन जाती है। इनके स्थायी निदान के लिए जिला प्रशासन को पहल करनी होगी। यह बातें हमें जागरुक पाठक उमेश कुमार शर्मा ने लिखकर भेजी हैं। उनका कहना है कि इनको दफन करने का इंतजाम होना चाहिए। नहीं तो गंगा स्नान करने के साथ आने वाले पर्यटकों को भी काफी समस्या होगी। यह नजारा रोज का है। इतना ही नहीं शव प्रवाहित करने वालों को भी गंगा स्वच्छता का ध्यान रखते हुए इससे परहेज करना चाहिए। क्योंकि जब शव फूल कर बाहर आ जाते हैं तो उन्हें जानवर नोच कर खाते हैं। यह तो बीमारी को फैलाने और उनके परिजनों का घोर अपमान जैसा है। कल तक जो आपके परिवार को सदस्य था। उसे कुत्ते नोच खाएं यह कहां तक उचित है। बावजूद इसके जो शव गंगा में जहां-तहां देखे जो रहे हैं। उनको दफन करने का ठोस प्रबंध होना चाहिए। इस खबर में जो आप तस्वीरें देख रहे हैं। वह शहर के जहाज घाट के समीप की हैं।