धनश्याम मिश्र ने गीता और अमरावती कथा संग्रह को भोजपुरी में किए थे अनुवाद बक्सर खबर। जिला अधिवक्ता संघ के तत्वावधान में सोमवार को वरिष्ठ अधिवक्ता घनश्याम मिश्र की 19वीं पुण्यतिथि पर एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया। इस अवसर पर उन्हें उनके अनुकरणीय कार्यों और बहुमूल्य सामाजिक योगदान के लिए याद किया गया। श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता जिला एवं सत्र न्यायधीश हर्षित सिंह ने की। प्रधान न्यायाधीश मनोज कुमार (प्रथम) सहित अन्य न्यायिक पदाधिकारी उपस्थित रहे । कार्यक्रम का संचालन वरीय अधिवक्ता रामेश्वर प्रसाद वर्मा के द्वारा कुशलतापूर्वक किया गया। सभा में उपस्थित सभी लोगों ने स्व. मिश्र जी के कार्यों को स्मरण करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया।
वक्ताओं ने कहा कि स्वर्गीय घनश्याम मिश्र आजीवन न्याय के पक्षधर रहे और जननायक कर्पूरी ठाकुर लॉ कॉलेज में अध्यापन के माध्यम से अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने भोजपुरी साहित्य को समृद्ध करने में अद्वितीय योगदान दिया। उनके द्वारा किए गए “गीता” और “अमरावती कथा संग्रह” के भोजपुरी अनुवाद को विशेष मान्यता प्राप्त है। “चानी के झूझना” नामक उनके अनुवादित अंश को एम ए पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता है। इसके अतिरिक्त, उनके अन्य उल्लेखनीय कार्यों में “चकबंदी विधान”, “तुलसीकृत पार्वती मंगल” और “जानकी मंगल” के भोजपुरी अनुवाद भी शामिल हैं, जो व्यापक रूप से प्रशंसा प्राप्त कर चुके हैं।
कार्यक्रम में बार के अध्यक्ष अधिवक्ता बबन ओझा, सचिव अधिवक्ता विन्देश्वरी पाण्डेय, सरोज उपाध्याय, सूबेदार पाण्डेय, गणेश ठाकुर, हृदयनारायण मिश्र, अनिल पाण्डेय, मनीष पाठक, अधिवक्ता सत्यप्रकाश पाण्डेय के अलावे उनके ज्येष्ठ पुत्र डॉ कन्हैया मिश्रा ने पुष्पांजलि अर्पित किया कार्यक्रम के अंत में उनके पुत्र अधिवक्ता संजय मिश्रा ने उपस्थित आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया।