-सीताराम विवाह महोत्सव के दूसरे दिन रात्रि में हुआ जय विजय लीला का मंचन
बक्सर खबर। सरल हृदय से आराधना ही परमपिता से मेल का एकमात्र साधन है। यह बातें सोमवार को सीताराम विवाह महोत्सव में कथा के दौरान मलूक पीठाधीश्वर राजेन्द्र दास जी महाराज ने कही। उन्होंने अपनी कथा में कपिलोख्यान की व्याख्या की। माता देवहूति व कपिल संवाद को सबके सामने रखा। जिसमें माता कहती हैं मन ही मोक्ष व बंधन का कारण है। यदि मन भगवान में आसक्त हो जाए तो मोक्ष की प्राप्ति होती है। संसार में लग जाए तो बंधन का कारण बन जाता है।
अत: इस मन को भगवान में ही लगाना चाहिए। उन्होंने कहा भागवत में परीक्षित जी शुकदेव जी से पूछनते है? मृत्यु नजदीक आ जाए तो मनुष्य कौन सी साधना करे कि उसका उद्धार हो जाए। शुकदेव जी कहते हैं भगवान का गुणगान सुनने से, गायन व स्मरण करें। इन तीनों कर्मों से उसका उद्धार हो जाता है। कथा के दौरान आश्रम के महंत राजाराम, बसांव पीठाधीश्वर अच्युत प्रपन्नाचार्य जी एवं अन्य संत विराजमान रहे। यह कथा प्रतिदिन अपराह्न तीन से शाम छह बजे तक चलेगी।
विवाह महोत्सव के दौरान रासलीला व रामलीला का हो रहा मंचन
बक्सर खबर। सीताराम राम विवाह महोत्सव में पूरे दिन कई कार्यक्रम हो रहे हैं। दिन में राष्ट्रीय पदक प्राप्त ब्रज कोकिला फतेह कृष्ण शास्त्री जी के निर्देशन में रासलीला व कृष्ण लीला का आयोजन हो रहा है। रात्रि वेला में आश्रम के परिकरों द्वारा अवतार प्रयोजन जय विजय लीला का मंचन किया गया।