बक्सर खबर : गोदा-रंगनाथ विवाह महोत्सव इस माह की चौदह तारीख को ब्रह्मपुर के तेजपुर में मनाया जा रहा रहा है। भगवान विष्णु के रुप रंगनाथ का विवाह गोदाम्बा जी के साथ हुआ था। वहीं उत्सव पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। जिले के ब्रह्मपुर प्रखंड के बैरिया पंचायत में एक गांव है। जिसका नाम तेज-पांडेयपुर है। यहां श्री त्रिदंड़ी स्वामी आश्रम का राधा-कृष्ण मंदिर स्थित है। जिसके वर्तमान महंत जगतगुरु उद्धव स्वामी प्रपन्नाचार्य जी हैं। उनके अनुसार पन्द्रह वर्षो से भी ज्यादा समय से यह उत्सव यहां मनाया जाता रहा है। शादी के दिन झांकी के रुप में पदयात्रा निकलती है। भगवान रंगनाथ को पालकी में बैठाकर सभी लोग ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर जाते हैं। वहां से बारात पुन: राधा-कृष्ण मंदिर आती है। जहां वैदिक परंपरा के अनुसार गोदा जी का विवाह भगवान रंगनाथ के साथ होता है।
क्या है गोदा-रंगनाथ विवाह की कथा
बक्सर : उद्धव स्वामी बताते हैं। यह कथा कर्नाटक राज्य से जुड़ी है। वहां विल्लू-पित्तुर में भगवान रंगनाथ का मंदिर है। जहां एक महात्मा रहते थे। उनका नाम विष्णुचित्त स्वामी था। भगवान की पूजा अर्चना के लिए उन्होंने तुलसी का बगीचा लगा रखा था। प्रतिदिन वहां तुलसी की माला बनाते। जिसे सुबह भगवान की पूजा के वक्त उन्हें पहनाया जाता था। इसी क्रम में एक दिन बगीचे में उन्हें बच्ची मिली। जिसका नाम उन्होंने गोदाम्बा रखा। पंडित बहुत गरीब थे। उनकी कोई संतान नहीं थी। बच्ची को वे पालने लगे। उनके पास कुछ भी आमदनी का जरिया नहीं था।
मंदिर से जो प्रसाद मिलता। उसी से परिवार का भरण-पोषण होता। बेटी बड़ी होने लगी। पिता जी की माला बनाने में मदद भी करती। जब वे पूजा से पहले सुबह स्नान करने जाते। उसी बीच वह माला वह पहन लेती और भगवान के सामने जाकर दिखाती। स्वयं को दर्पण में देखती। पिता के आने से पहले माला को यथा स्थान रख देती। एक दिन पिता ने देख लिया। बहुत नाराज हुए। मंदिर में पूजा के वक्त नहीं पहुंचे। अन्य पुजारी आए तो पूछने लगे। क्या हुआ भगवान की पूजा का समय निकला जा रहा है। उन्होंने कहा अब मैं भगवान के लिए माला कहां से लाउ। पंडित जी मंदिर में खड़े हो रोने लगे। ऐसी लड़की घर में आई जिसके कारण आज मेरे भगवान की पूजा खराब हो गई।
इतने में भगवान ने आकाशवाणी की। आप परेशान नहीं हों। गोदाम्बा की माला मुझे पसंद है। वह रोज ही उसे पहनती है तब मैं उसे धारण करता हूं। सब लोग खुश हो गए। उस दिन से गोदाम्बा जी भगवान रंगनाथ को पति रुप में पाने के लिए श्री व्रत करने लगी। अंतत: इक्कीस दिन भगवान ने उनसे शादी कर ली। तभी से यह उत्सव मनाया जाता है। दक्षिण भारत के सभी मंदिरों में यह उत्सव बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है।
सात से शुरु होगी भागवत की कथा
बक्सर : यह उत्सव एक माह तक इस क्षेत्र में मनाया जाता है। आस-पास के सभी गांवों में भगवान की पूजा होती है। अंतिम दिन भंडारा होता है। धूमधाम से उत्सव मनाया जाता है। इस वर्ष सात जनवरी से यहां जगत गुरु रामानुजाचार्य पुण्डरिक शास्त्री जी की कथा होगी। वे भागवत कथा कहेंगे। प्रतिदिन दोपहर बाद उनकी कथा होगी।
विवाह उत्सव में शामिल होंगे पूज्य जीयर स्वामी
बक्सर : वैष्णव धर्म के महान संत व तपस्वी पूज्य जीयर स्वामी जी महाराज भी इस वर्ष गोदा-रंगनाथ विवाह महोत्सव में शामिल होंगे। चौदह तारीख को उनकी मौजूदगी में विवाह उत्सव मनाया जाएगा। उनके आगमन के साथ राज्य व देश के अन्य हिस्सों से कई महात्मा व संत यहां पहुंच रहे हैं। उत्सव का समापन इस माह की 15 तारीख को होगा।