गइल-गइल, ल लोटा गड़बड़ा गइल

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बक्सर खबर। बतकुच्चन गुरू मिले तो ठहाके लगा कर हंस रहे थे। मैंने इसका करण जानने की इच्छा से उन्हें टोका। नमस्ते कैसे हैं। मेरी सुन उन्होंने चेहरा घुमाया। मेरे तरफ देखे और हंसने लगे। फिर बोल पड़े, गजबे हो गया है। यहां केतने के पेट में दरद कबर गया है। कहां सब खुशी मना रहा था। गइल-गइल, लेकिन सब गड़बड़ हो गइल। तोहरो जिला में एक से एक टपोरी टाइप आदमी है। लगा सब फाउल मारे, ए होगा, वो होगा। फाउल मारे से गोल होता है। जेकरा किस्मत में जे रहता है, ओकरा कवनों ना कवनो बहाना मिलिए जाता है।

बहुते लोग थाली पीट रहा था। सबेरे से मुंह रसुगल्ला टाइप लेके घूम रहा था। शाम होते-होते बलुन जइसन पचक गया। अरे, एतना परेशान होवे के का जरुरत है। राजनीति में अइसन-अइसन ड्रामा होता रहता है। हमरा इ ना बुझाया तोहार मीडिया वाला भी खुबे खबर चलाया। इ गया, उ गया, सब लोग के खबरे त टायं-टायं फीस हो गया। हम त लोगन से कहते हैं। जादे बउराया मत करो, जे होना होगा होके रहेगा। जेकर किस्मत खराब होगा। ओके हाथियों पर कुकुर काट लेगा, का समझे। इतना सुनने के बाद लगा वे कुछ राजनीतिक पहले समझा रहे हैं। तभी तो इतना घूमा रहे हैं। मैं उनको नमस्ते कहा और वापस लौट आया।
नोट-माउथ मीडिया बक्सर खबर का साप्ताहिक व्यंग कालम है। जो प्रत्येक शुक्रवार को प्रकाशित होता है।

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