बक्सर खबर (माउथ मीडिया)। जमाना बहुत बदल गवा है गुरू, पहले मनई सब कम पढ़े लिखे होते रहे। लेकिन, क्या मजाल उनको कोई भरमा दे। अब तो ससुरा लोग बड़े-बड़े कॉलेज में पढ़ते हैं सब। लेकिन, हमरा आज तक इ समक्ष में नहीं आया। मस्टर सब पढ़ाता का है। जरूर सब चिटफंड के बारे में बताता होगा। नहीं तो ससुरा तेजका-तेजका लकइन सब नौकरी में गइला के बाद इतना लूट पटार मचाता भला ? कहीं न कहीं ससुरा शिक्षा के सिस्टमें में झोल है। रोज सुनने में आता है। फला अफसर के यहां पड़ा छापा। बोरे में ठूस के रखा था रुपया। मशीन गिन रही है नोट। बाप रे बाप जमाना ससुरा केतना बदल गया है।
इन बातों को सुन मेरे कदम रुक गए। लगा कोई जानी पहचानी आवाज है। रुक कर सुनने का प्रयास किया तो पता चला। बतकुच्चन गुरू अपना ज्ञान बांट रहे हैं। चार-पांच लोग खड़े होकर सुन भी रहे थे। मैंने भी अपना कदम उधर बढ़ाया । वहीं दूसरी तरफ उनके शब्द कानों से टकरा रहे थे। आप ही लोग बतावें। इस कौन पढ़ाई है। जेकरा पढ़े के बाद ससुर सब कलम से बोरा के मुंह भर देता है। एही बदे सब अफसर बनता है का? हम तो अइसन पढ़ाई कतहूं न देखे हैं। तब तक मैं भी वहां पहुंच गया। मुझे देखते ही वह बोल पड़े।
आओ गुरू तू बताओ, अइसन पढ़ाई कहां होता है। जहां पढ़के सब कलम से जनता के खून चूसता है। नोट के बोरा भरता है? उनकी बातें सुन मेरे कदम स्वयं ठहर गए। क्या भ्रष्टाचार इतना हावी हो गया है। जिसकी वजह से कलम भी बदनाम हो रही है। आखिर कुर्सी पर बैठे लोगों की जीविका जिससे चल रही है। उसकी गरिमा को लोग ऐसे नीलाम करेंगे। मैं यह सोच ही रहा था तब तक बतकुच्चन गुरू यही सवाल करते हुए हमसे दूर चले गए। मैं उनको जाता देखता रह गया। उनके सवालों का जवाब शायद मेरे पास नहीं था। क्योंकि अपने ही जिले में इस वर्ष तीन-तीन अधिकारियों के यहां निगरानी का छापा पड़ चुका है। विभाग चाहे जो रहा हो, लेकिन, भ्रष्टाचार से कोई अछूता नहीं है। जिसके कारण कुर्सी और कलम दोनों बदनाम हो रही है।