बक्सर खबर। शहर का हाल बेहाल है। क्योंकि लगातार वाहनों की संख्या बढ़ रही है। साथ ही साथ अतिक्रमण से सड़के सकरी हो रहीं हैं। आटो और ठेला, वाले रोजगार के नाम पर सड़क घेर घूम रहे हैं। नतीजा कब कहां जाम लग जाए कहा नहीं जा सकता। बुधवार को जब जाम लगा तो शहर का हाल कुछ ऐसा ही था। चीं-पों की आवाज से शहर गूंज रहा था। इसी बीच एसडीओ केके उपाध्याय ज्योति चौक पहुंचे। सड़क जाम में वे भी फंस गए।
फिर क्या था, लग गई क्लास, ट्रैफिक इंचार्ज की। अंगद जी का फोन बजा, वे भी पहुंचे। लेकिन, जाम का आनंद उन्हें भी उठाना पड़ा। वे पसीना पोछते पहुंचे। उनके आने से पहले ही एसडीओ केके उपाध्याय ने स्वयं मोर्चा संभाल लिया। साहब को देख अंगरक्षक भी मैदान में आ गए। फिर शुरू हुआ बाघ-बकरी का खेल। ईधर रोको, उधर निकालो, चलो-चलो आगे बढ़ो। तब जाकर लोगों को कुछ राहत मिली। लेकिन, यह व्यवस्था कब तक, चलेगी। क्या जाम की वजह सिर्फ प्रशासन की लापरवाही भर है। इसके लिए शहर के लोग जिम्मेवार नहीं हैं। सोचना सभी को होगा, अन्यथा जाम का झाम तो झेलना होगा।