बक्सर खबर (माउथ मीडिया)। लॉकडाउन में लोगों से मिलना जुलना कम हो रहा है। सो हम भी बतकुच्चन गुरू से पिछले कई दिनों से मिले नहीं। फोन पर भी उनसे बात नहीं हो रही थी। आज शनिवार को उनसे संपर्क हुआ। मैने पूछ दिया, आपको दो-तीन दिन से मैं फोन कर रहा हूं। कहां थे आप, फोन भी नहीं उठ रहा था। मेरी बात सुनते ही बोले कहां से बात होगा। हमरा तीन दिन से दिमागे खराब है। कवन दुकान कहिया खुलेगा। समझे में नहीं आ रहा है। एक दम से हौच-पौच कर दिया है। कौन समान के दुकान कहिया खुलेगा। एही के जोड़ घटा रहे हैं। कई मिला फोन कर रहे हैं। कवन दोकान कहिया खुलेगा। जेबी में लिस्ट लेके घूमे पड़ रहा है। अरे दो दिन बंद करबे किया है। तीन दिन बंद कर दे। एक ही आदमी के दू बेर बहरी जाना पड़ता है। यहां के प्रशासन के हिसाब हमरे समझ में नहीं आता है।
उनकी बात सुन मैंने टोका। ऐसी बात नहीं है, आरा और सासाराम में भी ऐसा ही नियम है। सोच-समझ किया होगा। मेरी बात सुन के कर वे एक दम से उखड़ गए। रात भर बालू के ट्रक चल रहा है। पता है तोहरा, नाइट कर्फ्यू के नाम पर का हो रहा है। बनिया सब सरसो के तेल 190 में बेच रहा है। आलू बेचे वाला बीस रुपया ज्यादा ले रहा है। कवनो ध्यान है। अरे यहां सब दो सौ रुपया किलो नमक बेचे वाला है। ए सब पर के ध्यान देगा। हमने उनको हौंसला देते हुए कहा, हालात थोड़े संजीदा हैं। धैर्य का परिचय देना होगा। गुस्सा करने से तो बात और बिगड़ जाएगी। यह पहला मौका था, जब वे अपने सवाल का प्रति उत्तर सुन चुप हो गए। मुझे लगा, बतकुच्चन गुरु हम लोगों से ज्यादा समझदार हैं।
नोट-माउथ मीडिया बक्सर खबर का साप्ताहिक व्यंग कालम है। जो शुक्रवार को प्रकाशित होता है। आप अपने सुझाव हमें कमेंट के माध्यम से दे सकते हैं।
Ke hai e batkuchnaa??