बक्सर खबर (माउथ मीडिया)। इस शुक्रवार जो बतकुचन गुरु मिली तो मैं उन्हें पहचान ही नहीं पाया। रंग में सने हुए, चेहरा पुता हुआ। वह तो भला हो उनका। जो उन्होंने मुझे आवाज दी। मैंने पलटकर देखा तो मदमस्त चाल में चले आ रहे थे। देखते ही मैंने कहा गुरु होली की शुभकामनाएं। कैसे हैं, कहां से आ रहे हैं। आप तो पहचान में ही नहीं आ रहे। वे हंसने लगे। बोले गुरु होली में मंदी हवा हो गई है। हम तो घाट-घाट घुम रहे हैं। जहां मौका मिलता है। उहें रंग लभेर लेते हैं।
कवनो मनई हमारा पहचानता थोड़े है। उपर से अबीर-गुलाल काम ससुरा और बना दिया है। हम तो गुरु कुछ जगह गए तो देख के घबरा गए। लंबा-लंबा जाम लगा था। कार सब लाइन में लगा था। पूछे पर पता लिफाफा वाला लाइन है। एक बोलावे तेरह धावे वाला नजारा था। माथा ठनक गया। हम वहां से भागे। राही में देखे एगो साहेब के दरबार है। सोचे चलते हैं उहां भी राम सलाम करते हैं। पहुंचे तो देखे उहां भी कुछ मिला बइठे थे। हम वहां से भी भागे। सोचे अधिकारी, पदाधिकारी छोड़ो नेता के पास चलते हैं। वहीं जोगिरा होगा। वहां गए तो सब ससुरा उहां भी सेठ सेट कर दिया है।
हमारा तो कुछ नहीं दिया है। ए टाइप बात हो रहा था। हम ठहरे बुड़बक आदमी, धर के सुना दिए। लेकिन, सब हमरा कहने लगा कौन है बे। कहां से आया है। तब हमारा माथा ठनका। शायद कुछ ज्यादा बोल दिए का। लेकिन, गुरु हम चट बोले बुरा न मानो होली है, जोगीरा सा रा रा रा । उहां से भागे सो राही में तुम मिल गए हो। सोचे तो के होली की बधाई दें दें। चलते हैं, यह कहते हुए बतकुचन गुरु वहां से निकल लिए। (माउथ मीडिया बक्सर खबर का व्यंग कालम है। जो प्रत्येक शुक्रवार को प्रकाशित होता है। आप भी अपनी राय अथवा सुझाव कमेंट के माध्यम से दे बता सकते हैं। )
मुझे भी पता चला है कि अस्मिता बेच लिफाफा लेने की होड़ में आम से खास तक शामिल थे, जो समुदाय विशेष के लिए काफी चिंता का विषय है। खैर लेने देने वालों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं जोगीरा सा रा रा रा।