-नामांकन से पूर्व चुनावी चर्चाओं का बाजार गर्म, चौक-चौराहों पर अटकलबाजी का दौर तेज
बक्सर खबर (चुनावी चकल्लस)। जमाना बदल रहा है। एक दौर था, जब चुनाव आते ही गाड़ी पर भोपू आवाज देने लगता था। दीवारें पोस्टर से पट जाती थी। गांव की गलियों तक में पार्टियों के झंडे लहराने लगते थे। निर्वाचन आयोग ने शांतिपूर्ण मतदान के लिए लगभग पाबंदी लगा दी है। लेकिन, बदलते दौर में सोशल मीडिया ने खुब सुर्खियां बटोरी हैं। इसकी रफ्तार इतनी बढ़ गई है कि अनुमान लगाना संभव नहीं हो रहा है। कोई स्पष्ट गाइडलाइन नहीं है। इस वजह से झूठ भी प्रचारित हो रहा है। रह-रह कर इस पर सवाल भी उठ रहा है। अब बक्सर के प्रसंग को ही देखिए। यहां भाजपा (एनडीए) और राजद (इंडी एलाइंस) में सीधी टक्कर नजरों के सामने हैं। वहीं बसपा भी लड़ाई को त्रिकोणी बना रही है।
लेकिन, सोशल मीडिया की हवा इसके विपरीत ही चल रही है। जो लड़ाई में हैं उनकी चर्चा आपको कम ही देखने को मिलेगी। जैसे भाजपा को हम छोड़ भी दें तो राजद की चर्चा भी सोशल मीडिया में फीकी है। वहीं दूसरी तरफ निर्दलीय उम्मीदवार सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर रहे हैं। हालांकि जानकार यह भी कह रहे हैं। इसके पीछे एक सोची समझी रणनीति भी हो सकती है। जैसे खुद की लाइन बड़ी नहीं कर सकते तो बगल वाले की लकीर को छोटा कर दो।
राजनीति की समझ रखने वाले सामाजिक कार्यकर्ता रजनीकांत पांडेय कहते हैं। सोशल मीडिया पर ध्यान देने की जरुरत नहीं है। वैसे भी दुनिया जानती है, अफवाह की गाड़ी तेज चलती है। हालांकि लोग जो भी कहें यहां एक एक वाजिब सवाल उठता है। क्या सोशल मीडिया सच को गुमराह कर रही है? अथवा उसका गलत इस्तेमाल हो रहा है। इन सवालों के मध्य बक्सर खबर आपको सूचित करता है। अब पूरे चुनाव हम आपके मध्य ऐसी चर्चा लेकर, चुनावी चक्कलस में प्रत्येक दिन उपस्थित होंगे। आप अपने सुझाव हमें कमेंट के माध्यम से भी दे सकते हैं।
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आज की पेड सोशल मीडिया चाहे कुछ भी हवा उड़ा दे पर हकीकत यह है कि भाजपा बक्सर में 70000+ से चुनाव लीड कर रही है ।महागठबंधन की मिठाई आनन्द मिश्रा की सच्चाई कुछ गुमराह और युवा मतदाता जान चुके है, वे अब बहकावे में नहीं आने वाले हैं। उनके लिए देश हित सर्वोपरि है।