‌‌‌ हाई कोर्ट ने लिया थर्मल पावर पर संज्ञान, खड़े हुए प्रशासन के कान

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-ढाई घंटे चली किसानों के साथ डीएम-एसपी की बैठक रही बेनतीजा  
बक्सर खबर। चौसा में चल रहा किसानों का उग्र धरना (किसी को ठेस न लगे) अब कोर्ट तक पहुंच गया। क्योंकि यह धरना शांति पूर्ण रहा ही नहीं। पिछले चार दिनों से थर्मल के गेट पर प्रदर्शन चल रहा है। सिर्फ प्रदर्शन नहीं चल रहा थर्मल का कार्य इससे बाधित हो रहा है। जब आप किसी का काम रोकेंगे तो वह धरना शांतिपूर्ण कैसे हो सकता है। इसका हवाला देते हुए एसजेवीएन कंपनी ने उच्च न्यायालय में अर्जी डाली है। जिस पर हाई कोर्ट ने संज्ञान भी ले लिया है। 17 तारीख को इस मामले में जिला प्रशासन से अपना पक्ष रखने को कहा गया है। वहां से जिला प्रशासन को पत्र मिला तो यहां खलबली मची और डीएम तथा एसपी व अन्य पदाधिकारी  रविवार को चौसा पहुंच गए। धरना देने वालों के साथ बैठक हुई। जो लगभग ढाई घंटे चली। लेकिन, उसका समाधान नहीं निकला।

कंपनी वालों ने अपनी तरफ से उनकी कई बातें मानने को कही। जिला प्रशासन का पक्ष भी लगभग साफ था। क्योंकि मुआवजे का मामला लारा कोर्ट में चल रहा है। जब कोर्ट ही इस मामले की सुनवाई कर रही है तो गैर वाजिब मुआवजे की बात बेमानी है। यह बात बैठक में मौजूद अधिकारियों ने किसानों को समझनी चाही। लेकिन, धरना देने वाले मुआवजे से इत्तर आर एण्ड आर पॉलिसी, नवीनगर की तरफ यहां के थर्मल पावर में नियमों का प्रावधान, बोर्ड रेट आदि की बात कहने लगे। हालांकि इस मामले में समन्वय समिति बनी हुई है। लेकिन, धरना देने वालों का कहना है समिति में हम हो दूसरे किसान नहीं। हालांकि प्रशासन ने आपके लोग पहले से उसमें शामिल हैं, कुछ और सदस्यों को भी इसमें जोड़ सकते हैं।

समिति की अगली बैठक 19 अक्टूबर को होगी। डीएम व एसपी ने उचित मांगों पर हर संभव मदद का आश्वासन दिया। लेकिन, एक कहावत है, ज्यादा जोगी मठ उजाड़ देते हैं। फिलहाल यही स्थिति चौसा में दिख रही है। क्योंकि धरना देने वालों ने इसका भला होगा, उसका भला होगा, चाहे खोमचे वाला हो या ठेले वाला का नारा देकर भीड़ तो जमा कर रखी है। अब अगर तथ्यात्मक बात होगी तो उनको जगह मिलेगी कैसे। यह बात उनके गले में फंस गई है। कुल मिलाकर इस बैठक का नतीजा निकला नहीं, अब इंतजार उन्नीस का है। और यह भी सत्य है, समस्या का समाधान बातचीत से होना है। और हल निकालने के लिए सबको नरमी दिखानी होगी। किसानों का उनका हक मिलना चाहिए, और उन्हें भी राज्य में चल रहे इस खेल को समझना चाहिए। प्रशासन तो हुक्म का तामिला करता है। खबर समाप्त हुई, लेकिन धरना चल रहा है।

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