माता डुमरेजनी से जुड़ा है डुमरांव का इतिहास, मनाई गई वार्षिक पूजा

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– सावन पूर्णिमा को मनाया जाता है मां डुमरेजनी मंदिर का वार्षिकोत्सव
बक्सर खबर। डुमरांव का इतिहास माता डुमरेजनी से जुड़ा हुआ है। इनकी वार्षिक पूजा श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। जिस तरह हर गांव में मां की वार्षिक पूजा पूर्णिमा के दिन होती है। उसी तरह डुमरांव नगर की देवी होने के कारण इनकी पूजा का विधान है। इस वजह से इस तिथि को यहां मेला लगता है। आते-जाते सभी श्रद्धालु आपको यही कहते मिलते हैं। माता डुमरेजनी की जय। गुरुवार को यह तिथि थी और पूरा मंदिर परिसर आकर्षक ढंग से सजाया गया था। सुबह से यहां आने वालों का तांता लगा हुआ था।

दोपहर में कुछ भीड़ कम हुई। लेकिन, शाम होते ही एक बार फिर यह स्थल लोगों से भर गया। मंदिर पूजा समिति के सदस्य भीड़ को नियंत्रित करने में जुटे थे। बातचीत के क्रम में लोगों ने बताया वार्षिकोत्सव पर 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने मत्था टेका। मान्यता है कि मां डुमरेजनी से मांगी गई मन्नतें पूरी अवश्य होती है। यही कारण है कि श्रद्धालुओं की आस्था इस मंदिर के प्रति लगी रहती है।

मंदिर में स्थापित माता डुमरेजनी की प्रतिमा

प्रशासनिक व्यवस्था भी रही चुस्त
बक्सर खबर। नगर देवी के वार्षिकोत्सव पर प्रशासनिक व्यवस्था भी काफी चुस्त नजर आई। पुलिस प्रशासन के आलाधिकारी खुद इस मेले के पल पल की स्थिति का मॉनिटरिंग कर रहे थे। जबकि भीड़ नियंत्रण के लिए दंडाधिकारियों के नेतृत्व में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था। प्रशासनिक तत्परता के कारण इतनी बड़ी भीड़ काफी नियंत्रित व शांत रही।

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