बक्सर म्यूजियम में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में पहुंचे देश के नामी-गिरामी पुरातत्वविद बक्सर खबर। संग्रहालय शिक्षा का केंद्र है जहां अपने पुरखों की थाती से संबंधित ज्ञान के प्रामाणिक साक्ष्य संगृहीत है। जिस तरह विज्ञान के छात्रों के लिए प्रयोगशाला महत्वपूर्ण है उसी प्रकार इतिहास के छात्रों के लिए संग्रहालय एक प्रयोगशाला है। ये बातें बिहार के संग्रहालय एवं पुरातत्व के पूर्व निदेशक डॉ उमेश चन्द्र द्विवेदी ने स्थानीय सीताराम उपाध्याय संग्रहालय में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में कही। डॉ द्विवेदी जो चौसा के पुरातात्विक उत्खनन के निदेशक भी रहे हैं उनका कहना है कि चौसा में बिहार की सबसे पुरानी मंदिर के अवशेष मिले हैं। टेराकोटा मृण्मूर्तियों के दृष्टिकोण से यह पुरास्थल सबसे समृद्ध एवं गौरवशाली है।
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित एमपी हाई स्कूल के प्राचार्य डॉ विजय शंकर मिश्र ने बच्चों को बताया कि इतिहास पढ़ने के लिए प्रामाणिक साक्ष्य देखने हेतु संग्रहालय और पुरातात्विक सामग्रियों का अवलोकन करना कितना आवश्यक है। यहां हमारे पुरखों की थाती संगृहीत रहती है जो अतीत का दर्पण है। मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित आकाशवाणी, सासाराम के सहायक पुस्तकालय एवं सूचना पदाधिकारी डॉ श्याम सुंदर तिवारी ने बक्सर के पुरातात्विक उत्खनन एवं उनमें मिले पुरावशेषों के विषय में सिलसिलेवार ढंग से जानकारी प्रस्तुत की। इसके साथ ही डॉ तिवारी ने पुरास्थलों का उल्लेख करते हुए पूरे जिले के पुरास्थलों के सूची प्रस्तुत किया तथा विस्तार से उनके विषय में जानकारी प्रदान की। डॉ तिवारी ने बक्सर के पुरातात्विक स्थलों को अवलोकन करने हेतु बच्चों को निदेशित किया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, भोपाल के उप अधीक्षण पुरातत्वविद एवं वरिष्ठ मूर्ति वैज्ञानिक डॉ जलज कुमार तिवारी ने बिहार के संग्रहालयों के अलावा देश के प्रमुख संग्रहालयों के प्रमुख सामग्रियों को पीपीटी के माध्यम से प्रस्तुत किया। डॉ जलज के अनुसार संग्रहालय एक प्रमुख शिक्षा केन्द्र है जहां विरासत के विषय में शिक्षित की जाती है। संग्रहालय के क्रियाकलापों को रेखांकित करते हुए डॉ जलज ने कहा कि जागरूकता कार्यक्रम, संगोष्ठी, प्रशिक्षण, कार्यशाला एवं समय-समय पर हेरिटेज क्रियाकलापों आदि शैक्षिक कार्यक्रमों को आयोजित किया जाना संग्रहालय का प्रमुख कर्तव्य है। मध्यप्रदेश के संग्रहालय तथा प्रधानमंत्री संग्रहालय, नई दिल्ली के विषय में भी विस्तार से जानकारी दी गई।
गांधी स्मृति संग्रहालय- लोगों को शिक्षित व स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से बिहार के भितिहरवा में बापू ने 1917 में आश्रम की थी स्थापना: संग्रहालयाध्यक्ष डॉ शिव कुमार मिश्र द्वारा बिहार के राजकीय संग्रहालयों के विषय में संक्षिप्त जानकारी पीपीटी के माध्यम से प्रस्तुत की गई। डॉ मिश्र ने बच्चों को बताया गया कि गांधी स्मृति संग्रहालय, भितिहरवा की स्थापना राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी ने 1917 ईस्वी में वहां के लोगों को शिक्षित करने तथा उन्हें स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से की थी। आश्रम की स्थापना के उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए पटना संग्रहालय में संगृहीत महापंडित राहुल सांकृत्यायन द्वारा तिब्बत से लाये गये दुर्लभ पांडुलिपियों के विषय में जानकारी प्रदान की गई। राज्य के अन्य संग्रहालयों में संगृहीत दुर्लभ सामग्रियों के चित्रों को दिखाते हुए उनसे प्राप्त ज्ञान को भी रेखांकित किया गया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पुरातत्वविद डॉ नीरज मिश्र ने बक्सर के पुरातात्विक उत्खनन को प्रस्तुत करते हुए उनके आधार पर बक्सर के इतिहास लेखन पर बल दिया। डॉ नीरज ने चौसा के पुरातत्व एवं इतिहास पर गंभीरतापूर्वक विचार करने का आह्वान किया।
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी के शोध छात्र प्रीतम कुमार ने पुरातत्व के माध्यम से शिक्षा ग्रहण करने की आवश्यकता पर बल देते हुए छात्रों को पुरावशेषों के प्रति जागरूक किया। मानव जीवन के आरंभ से लेकर वर्तमान समय तक के पुरातात्विक सामग्रियों से परिचय कराया। सिक्कों के इतिहास को पीपीटी के माध्यम से प्रस्तुत करते हुए लेखन विधि में प्रयुक्त लिपियों के विकास के विषय में भी जानकारी प्रदान की गई। डीएवी पब्लिक स्कूल के छात्र गुरुदेव ने संग्रहालय से प्राप्त ज्ञान के विषय में विचार व्यक्त किया। इस अवसर पर अभिलेखविद डॉ जवाहर लाल वर्मा, रामेश्वर प्रसाद वर्मा, कल्पना कुमारी, जीतेन्द्र कुमार सिंह, एके चौबे, राम मुरारी , लक्ष्मी कांत मुकुल, विरेन्द्र कुमार, दीपक रंजन लक्ष्मण चौबे , ऋषिकेश कुमार, संतोष कुमार, मनोज कुमार शाह, राहुल कुमार तिवारी, डॉ प्रदीप पाठक, डॉ निर्मला शुक्ला, अनिकेत कुमार, अभिशेष चौबे, अभिनंदन कुमार, मोहम्मद आशिक, अविनाश कुमार के अलावा, एमपी हाई स्कूल, रेडवुड ग्लोबल स्कूल, डीएवी पब्लिक स्कूल, एसपी विद्या मंदिर, एस एस गर्ल्स स्कूल आदि शिक्षण संस्थानों के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।