बक्सर खबर। चौसा का पशु मेला छह माह बाद फिर गुलजार हो गया है। टुकड़े-टुकड़े में चलने वाले इस मेले को चालू करने की अनुमति कहां से मिली। यह ज्ञात नहीं है। लेकिन बुधवार अर्थात 14 नवम्बर को बाल दिवस पर यहां गहमा-गहमी दिखी। हर बार की तरह सड़क पर व्यापारी और वाहन वाले नहीं जमे थे। लेकिन मेले में मवेशियों और व्यापारियों की चहल-पहल दिखी थी।
क्या चौसा मेले को चलाने का लाइसेंस यहां के संचालकों को मिल गया है? इस प्रश्न का जवाब हमें पूछने पर भी नहीं मिला। जिसकी तस्दीक आगे की जाएगी। फिलहाल यही सूचना कै कि मेला एक बार फिर चालू हो गया है। तो सप्ताह में दो दिन अर्थात बुधवार और गुरुवार लगता है। लेकिन, किसकी अनुमति से मेला चालू हुआ, यह प्रश्न सबके जेहन में उठ रहा है।
न्यायालय से नहीं मिली थी अनुमति
बक्सर खबर। मेला को चालू करने के लिए चौसा के कुछ लोग न्यायालय की शरण में गए थे। वहां से इसकी अनुमति नहीं मिली। क्योंकि जब मेले के कानूनी प्रावधानों की सूची मांगी गई तो पता चला था। प्रदेश की सीमा से 50 किलोमीटर की दूर मेला होना चाहिए। वहां पशुओं के लिए आवश्यक चारा, पानी और पशु चिकित्सक होने चाहिए। मवेशियों को रखने के लिए पर्याप्त शेड होनी चाहिए। जब इन शर्तों का उल्लेख हुआ तो लोगों ने अपने हाथ पीछे खींच लिए।
18 के खिलाफ दर्ज हुई थी प्राथमिकी
बक्सर खबर। मई 2018 में यह मेला बंद हुआ था। पहले दिन जब पशु कुवेल्टी टीम ने छापा मारा तो 280 मवेशी पकड़े गए। अगले दिन चार मई को पुन: सदर एसडीओ के के उपाध्याय के नेतृत्व में छापामारी हुई। सारे संचालक और व्यापारी भाग खड़े हुए। तब पशु क्रुवेल्टी टीम ने कुल 18 लोगों के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। धाराएं कमजोर लगी, जिसके कारण संचालकों को जल्द ही जमानत मिल गई। उस समय यह पता चला था कि यहां के मवेशियों की तस्करी बंगाल के बांग्लादेश तक होती है।