बक्सर खबर। यह खबर भले ही पढऩे में पाठकों को अच्छी नहीं लगे। पर सच यही है, सिस्टम सुधर भी जाए तो लोग नहीं सुधरेंगे। हालाकि इनमें से किसी एक को ठिक कर व्यवस्था में सुधार कर पाना शायद संभव नहीं। स्थिति तब ही बदलेगी जब दोनों अपने कर्तव्य और दायित्व को समझे। बहर हाल आए दिन की तरह बात आज भी गुरुवार को भी शहर के अंबेडकर चौक पर जाम लग गया। वहां से डीएम राघवेन्द्र सिंह गुजर रहे थे। उन्होंने गाड़ी रोकी, आगे-आगे चल रहे सुरक्षा कर्मियों ने जाम हटाना शुरू किया।
लगभग आधे घंटे तक डीएम वहां जमे रहे। तब जाकर आवागमन सामान्य हुआ। शहर के चौक चौराहे पर जाम नहीं लगे। इसकी जिम्मेवारी प्रशासन की है। लेकिन, अगर डीएम जाम हटाए तो यह सिस्टम की नाकामी का उदाहरण है। इसके लिए परिवहन नियमों की अनदेखी करने वाले वाहन चालक भी उतने ही जिम्मेवार हैं। चौक पर एक वाहन निकला नहीं की दूसरा उसके सामने गाड़ी घूसेड़ देता है। आज भी ऐसा ही हुआ। जिससे स्वयं डीएम को रुबरु होना पड़ा। जब डांट पड़ती है तो पुलिस वाले यह कह कर पल्ला झाड़ लेते हैं। इस जिले में ट्रैफिक सिस्टम के लिए सरकार द्वारा कोई पूर्व से प्रतिनियुक्ति नहीं है। तो क्या शहर ऐसे ही जाम का झाम झेलता रहेगा। आखिर इस समस्या पर कौन विचार करेगा। ऐसा नहीं की डीएम पहली बार इस जाम में फंसे हैं। दिन की बात कौन कहे देर शाम कार्यालय से लौटते वक्त भी वे परेशान हो चुके हैं।
क्या है मुख्य कारण
बक्सर । अंबेडकर चौक से होकर गुजरने वाले बड़े वाहनों के कारण अक्सर यहां जाम लगता है। रही सही कसर आटो व बाइक वाले पूरी कर देते हैं। यहां से स्टेशन के रास्ते इटाढ़ी को जाने वाले बड़े वाहन एवं बाजार समिति की तरफ जाने वाले ट्रक। अक्सर अंबेडकर चौक पर जाम का सबब बन जाते हैं। इस समस्या पर ध्यान देना होगा। नहीं तो स्थिति सुधरने वाली नहीं है।
अतिक्रमण और गंदी राजनीति से समस्या है यथावत
बक्सर। स्टेशन रोड में अक्सर जाम लगता है। पहले ज्योति चौक के पुल पर ऐसा होता था। अब नया ठिकाना अंबेडकर चौक है। इसकी मुख्य वजह में से एक है स्टेशन रोड का अतिक्रमण। इटाढ़ी को जाने वाले बड़े वाहन इसी रोड़ से होकर गुजरते हैं। लेकिन स्टेशन के पास पहुंचते ही जाम में फंस जाते हैं। वहां फैली दुकानें और आटो वालों का एकतरफा जाम। पैदल चलने वालों को भी रास्ता बदलने पर मजबूर कर देता है। प्रशासन को स्टेशन परिसर तक का अतिक्रमण स्थायी रुप से हटाना पड़ेगा।