बक्सर खबर। डीएम आजकल तेवर में हैं। उन्होंने अनुपस्थित पाए गए लगभग सवा सौ कर्मचारियों के एक दिन का वेतन काट दिया है। आज यह जानकारी सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने जारी की तो हर तरफ खलबली मच गई। यह पहला मौका है। जब एक साथ इतने लोगों का वेतन किसी डीएम ने काटा है। हुआ कुछ यूं की डीएम स्वयं अपने राजपुर निकल गए। पूरा जिला मौज में। साहब तो राजपुर निकल गए हैं। पर किसी को क्या पता था। अपने पीछे उन्होंने डीडीसी, एडीएम और एसडीओ को जांच के लिए जिला मुख्यालय के दफ्तरों में भेज रखा था। डीडीसी अरविंद कुमार ने पीएचईडी, सोन नहर, ग्रामीण कार्य विभाग का निरीक्षण किया।
उन्होंने अधिकारियों समेत 32 कर्मचारियों को अनुपस्थित पाया। वहीं एडीएम लघु सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण व गंगा पंप नहर के कार्यालय पहुंचे। उन्होंने ने भी 31 लोगों को अनुपस्थित पाया। एसडीओ केके उपाध्याय ने पथ निर्माण, बिजली और भवन निर्माण विभाग का निरीक्षण किया। उन्होंने लगभग 35 को अनुपस्थित पाया। इन अधिकारियों ने अपनी जांच रिपोर्ट डीएम को भेजी। पूरी सूची साथ में। उदाहरण के तौर पर सदर एसडीओ के जांच प्रतिवेदन की चर्चा हम करें तो उन्होंने पथ प्रमंडल में सहायक अभियंता समेत 12 लोगों को अनुपस्थित पाया। भवन प्रमंडल में एक कर्मचारी को छोड़ सभी नदारद एवं बिजली विभाग में कुल 23, स्वयं कार्यपालक अभियंता भी नहीं थे। इन सभी से डीएम ने तीन दिनों के अंदर अपना जवाब देने को कहा है। साथ यह भी कहा है। 16 अक्टूबर का वेतन बंद रहेगा। अगर जवाब से जिलाधिकारी संतुष्ट हुए तो ठीक अन्यथा फिर आप समझ ही सकते हैं। वहीं डुमरांव एसडीओ को भी जांच के लिए भेजा गया था। उन्होंने पीएचईडी डुमरांव में 4, भवन प्रमंडल का कार्यालय बंद मिला। एवं बिजली विभाग में सभी उपस्थित मिले। यहां जांच प्रतिवेदन से स्पष्ट हुआ कि डीएम ने इन सभी पदाधिकारियों को वैसे विभागों में भेजा था। जहां अक्सर कोई जांच के लिए नहीं जाता। यह सभी इंजीनियरिंग सेक्सन के कार्यालय हैं। डीएम के इस कदम से सभी पदाधिकारी और कर्मचारी बेचैन हैं। क्या जवाब देवें।