बक्सर खबर (माउथ मीडिया) । बतकुच्चन गुरु से एक छोटे अंतराल के बाद मुलाकात हुई। हालांकि मैं अपने काम के दबाव में अपनी राह चलता चला जा रहा था। लेकिन, पीछे से आवाज आई अरे गुरू कहां चले जा रहे हो। अगल बगल देखा करो। उनकी आवाज कान में पड़ते ही मेरे कदम स्वयं थम गए। उनको देख मन श्रद्धा से भर गया। कबीर पंथी आदमी जो ठहरे, उनका अभिवादन करते हुए मैंने पूछा कैंसे हैं गुरू। हंसते हुए बोले मजे में हैं, तो से एक बात पूछना चाहते हैं। हमरा इ बताओं आदमी के जब सितारा बुलंद होता है तो मनई के स्वभाव भी बदल जाता होगा! मैं उनकी बात सुन थोडा अचरज में पड़ा। वे पूछना क्या चाहते हैं। हालांकि मेरे कुछ कहने से पहले ही वे बोलना शुरू हो गए। पहले के लोग तो यही कहा करते थे। जौन पेड़ पर फल लगता है ओकर डहंग झुक जाता है।
हमको तो लग रहा है, जौन-जौन मनई के स्टॉर लगा है, अब उ सब बहुत बढ़िया काम करेगा। सच्चाई का साथ देगा, आम आदमी की मदद करेगा। हम तो बहुते खुश है, अब यहां का सब गड़बड़ झाला वाला बढ़िया मनई हो गया है। सब मिला के तगमा मिल गया है। अब जिला के भला होगा। बहुत नहीं होगा तो थोड़ा बहुत तो जरुरे होगा, तुम का कहतो हो गुरू। हमरा अनुमान ठीक है की गड़बड़। उनकी बातें सुन मैं भी हंसने लगा। हंसते-हंसते मैंने कहा उम्मीद तो यही है, अच्छा होगा। फिर हम दोनों अपनी-अपनी राह चल पड़े। लेकिन, मन में यह सवाल अभी भी उठ रहा है। क्या स्टार बदलने से स्वभाव भी बदल जाता होगा। नोट -माउथ मीडिया बक्सर खबर का साप्ताहिक व्यंग कालम है। जो शुक्रवार को प्रकाशित होता है।