बक्सर खबर। अमेरिका में हाल ही में हुए एक शोध के मुताबिक वैसे बुजुर्ग जो कम गहरी नींद लेते हैं, उनमें अल्जाइमर यानी भूलने की बीमारी होने का खतरा ज्यादा होता है। अमेरिका स्थित वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने कहा कि गहरी नींद लेने वाले लोगों की याददाश्त मजबूत होती है और सोकर उठने के बाद वे तरोजाता महसूस करते हैं।
साइंस ट्रांसलेशन मेडिसिन नाम की पत्रिका में छपे इस शोध के मुताबिक युवावस्था और उसके बाद के समय में पूरी नींद न ले पाना मस्तिष्क स्वास्थ्य में गिरावट का एक बड़ा संकेत हो सकता है। वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के ब्रेंडन लूसी ने कहा कम गहरी नींद लेना सामान्य और खराब मानसिक स्थिति के बीच संकेत का काम कर सकता है। हमने यह देखा कि लोगों में नींद की वजह से कैसे याददाश्त संबंधी समस्याएं होने लगती है और गैर-जिम्मेदार तरीके से अल्जाइमर रोग से ग्रसित हो जाते हैं।
हालांकि वैज्ञानिकों का मानना है कि ज्यादातर लोगों में अल्जाइमर आनुवांशिक, जीवनशैली और पर्यावरणीय कारकों के संयोजन से होता है, जो समय के साथ मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं। पांच प्रतिशत से भी कम बार अल्जाइमर विशिष्ट आनुवंशिक परिवर्तनों के कारण होता है। अल्जाइमर रोग का कारण अभी तक पूरी तरह से निश्चित नहीं है लेकिन मस्तिष्क पर इसका असर स्पष्ट है। यह रोग मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है।