-धरती, जल, आकाश, वायू और अग्नि पांचो से अनिष्ट की संभावना
बक्सर खबर। 26 दिसम्बर 2019 को सूर्यग्रहण लगा। वह कोई आम दिन नहीं था। कई ग्रह उस दिन एक साथ आ गए थे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वे भूकंप, हिमपात, भयंकर अग्नि कांड का कारण बनेंगे। पंडित नरोत्तम द्विवेदी बताते हैं उस दिन से ही आठ ग्रहों का संयोग तीन राशियों में क्रमवार होने से एवं लगातार तीन राशि अथवा चार राशि में क्रमवार सात ग्रह व कभी आठ ग्रह का विचरण कर रहे हैं। यह स्थिति 2020/2021 तक बनी रहेगी। वृष, मिथुन, कर्क रेखा से होकर गुजरने वाले देश, प्रदेश में भूकम्प, अग्नि, जल प्लावन, गगन, पर्वत में विशेष उपद्रव के योग बना रहे हैं। मेष और सिंह रेखा क्षेत्र में भी कुछ इससे कम उपद्रव हो सकते हैं।
इन क्षेत्रों में गृहयुद्ध, वर्ग संघर्ष, बर्फीले तूफान, नूतन महामारी, नकारात्मक राजनीति समबन्धित उपद्रवों की पूरी संभावना रहेगी। महाभारत काल में भी इसी तरह का संयोग सूर्यग्रहण से बना था। सिर्फ एक अंतर महाभारत काल से यह हैं कि एक मास में दो ग्रहण नहीं लगा है। फिर भी आने वाले डेढ़ वर्ष पूरे विश्व में बर्फीले तूफान, बवंडर, आँधी, जल प्लावन, जंगलों में भयंकर आग, आकाशीय उत्पात, नूतन महामारी, बड़ायुद्ध, वर्ग संघर्ष का सूचक है। कुछ देशों का अस्तित्व संकट भी हो सकता है। जहाँ तक भारत का प्रश्न है, भारत में भी उथल-पूथल, वर्ग संघर्ष भूकम्पादि उत्पात, बर्फबारी का नया कीर्तिमान, जलप्लावन, दुर्घटना की संभावना है।
भारत इन सबों को झेलते हुये भी विश्व मानस पटल पर और अंतरिक्ष में नया सिरमौर बनकर उभरेगा। जुलाई 2020 के बाद भारत की आर्थिक स्थिति में तेजी से सुधार होने की संभावना है। 2021अप्रैल तक भारत विश्व पटल पर हर क्षेत्र में अपना मजबूत स्थिति दर्ज कर लेगा। नरोत्तम द्विवेदी के अनुसार आकाश मंडल को ग्रहों के अलावा 12 राशि और 27 नक्षत्रों में विभक्त किया गया है। इस समय सूर्य, मंगल, बुद्ध, वृहस्पत, शुक्र, शनि व केतु के प्रभाव के कारण ऐसा होगा। जहां सूर्य का प्रभाव होगा। वहां अग्नि तांडव मचाएगी। शुक्र के प्रभाव वाले क्षेत्र में बर्फबारी होगी।