बक्सर खबर। लोग पूछते हैं, कथा क्यों और किस लिए जरुरी है। मैं कहता हूं कथा जीवन सुधारने का माध्यम है। यह वह व्यवस्था है जो उलझे जीवन का सुधार देती है। यह एक स्लेबस की तरह है। जो आपके जीवन को व्यवस्थित कर देती है। वर्तमान समय में लोग हर बात का प्रमाण ढूंढ़ते हैं। आपके सामने तीन नाम हैं। जो विश्व विख्यात हैं। जिनका जीवन कथा से सुधरा ही नहीं बल्कि उनका नाम भी अमर हो गया।
पहला नाम है महर्षि वाल्मिकी का, दूसरा तुलसी दास एवं तीसरा अंगुली माल। यह तीनों गलत रास्ते पर थे। समय-समय पर इनकी मुलाकात ऐसे संतो से हुई। जिन्होंने उन्हें सही रास्ता बताया । उनका जीवन तो बदला ही उन्होंने समाज को भी सही दिशा और वह ज्ञान प्रदान किया। जिसका आज हम लोग अनुश्रवण करते हैं। इतना जानने और समझने के बाद भी लोग पूछते हैं। तो गांव-गांव कथा कहने की क्या जरुरत है। जिसे ज्ञान की जरुरत होगी वह स्वयं वैसी जगह पहुंच जाएगा। अब आप ही बताएं पहले के जमाने में कहीं-कहीं वैद्य होते थे। लोग उनके पास उपचार कराने जाते थे। समस्या का समाधान हो जाता था। आज के जमाने में भी बड़ी जगहों पर बड़े अस्पताल हैं। अच्छे डाक्टर हैं तो बावजूद इसके हर जगह अस्पताल खोलने की क्या जरुर है।
अब तो ऐसा समय आ गया है। हर छोटे बड़े बाजार में क्लीनिक व अस्पताल खुले हैं। गांव-गांव में डाक्टर फोन पर पहुंच जा रहे हैं। तो यह प्रश्न यहां भी उठता है। उसकी क्या जरुरत है। जिसको आवश्यकता होगी स्वयं अस्पताल पहुंच जाएगा। लेकिन सच यह है कि ऐसा सोचना गलत है और कहना तो सर्वथा गलत। देश, काल परिस्थिति के अनुसार बहुत बदलाव आए हैं। अगर समय-समय पर गांव, जवार अथवा क्षेत्र में कथा नहीं होगी। अथवा धर्म से लोगों को जोड़ा नहीं जाएगा। तो समाज में थोड़ी बहुत जो मर्यादा अथवा लोक-लाज बचा है। उसका भी लोप होते देर नहीं लगेगी। (यह उपदेश रविवार को इटाढ़ी प्रखंड के कादीपुर गांव में कथा के दौरान पूज्य जीयर स्वामी जी ने दिए)