बक्सर खबर (माउथ मीडिया)। गजबे हो गया। कहे के त साधु है लेकिन, गुरु ओकर नजर मोटर के चोर पर है। अइसन बमका की थानेदार टपक गए। बेचेरा बड़ा साफ-सुथरा दोकानदारी कर रहे थे। लेकिन, का करते, उनका चोर चाई से दोस्ती नहीं रहा। चाहे त की धकेल के मोटर बाहर निकाल देवें। लेकिन, साधु के मोटका सोटा से उनका भभोराना लिखा रहा। का करते बटोर के बिस्तरा लग गए लाइन में। यह बातें कहते हुए बतकुच्चन गुरु हमें रास्ते में मिल गए।
हमने पूछा गुरु यह क्या बोले जा रहे हैं। साधु और मोटर यह आपका गणित समझ में नहीं आ रहा है। भला संत आदमी को मोटर से क्या काम। मैंने अपना सवाल दागते हुए उनसे जानना चाहा। पूरा माजरा क्या है। लेकिन, बतकुच्चन गुरु मजे खिलाड़ी हैं। मेरी बातें का जवाब देने की जगह दूसरी धारा में बह निकले। बोले गुरु तु एकरा चक्कर में का पड़े हो। तोहके पता है, समाजिक क्रांति के एक दुनिया में सेठवा सेट कर लिया। ओकरा आगे पीछे करे वाला सब मनई ठेकेदार बन गया। सेठवा अपना सेट कर रहा था। उ सब अपना सेट कर रहा था।
जेतना कमाई टेंडर में नहीं कमाया होगा सब। उतना सरेंडर में कमा लिया। उनकी बातें सुन मेरा माथा फिर ठनका। मैंने पूछा आप क्या पहेलियां बुझा रहे हैं। कुछ साफ-साफ कहिए। बतकुच्चन गुरु हंसने लगे और चलते हुए बोले — गुरु सोचे रहो तुम इहां बैठ के हम तो चले। एतना जरुर कहेंगे, तुम गणित के चक्कर में मत पड़ो। अप्पन देखो अप्पन। इतना कहते हुए वे निकल गए, लेकिन, मैं उलझन में पड़ गया। कौन टपक गया और मिला सेट कर लिया। उनकी बातें तो भेंजे में उतरी ही नहीं है!
नोट- माउथ मीडिया बक्सर खबर का साप्ताहिक व्यंग कालम हैं। जो प्रत्येक शुक्रवार को प्रकाशित होता है।