बक्सर खबर (माउथ मीडिया) । सुबह-सुबह बाहर निकला तो बतकुच्चन गुरु से मुलाकात हो गई। ठंड के मौसम की परवाह किए बगैर साफा खोल के दहाड़ रहे थे। खिलाड़ी से लेकर अनाड़ी तक, भइस से लेके पाड़ी तक। सब ससुरा हवा बाजी कर रहा है। खिचड़ी में जेतना पतंगबाजी देखे के नहीं मिला। ओकरा से ज्यादा यहां सोशल मीडिया पर फैलबाजी हो रहा है। कवनो ससुर के नाती खुद को कुर्सी का आदमी बता रहे हैं। कवनो मिला खुद के कुर्सी के पोछड़ा। हमरा इ समझ में नहीं आ रहा है। ए बेर सब वाड-फाड खालिए रहेगा का।
बतकुच्चन गुरू की बाते सुन मुझे समझ में नहीं आ रहा था। वे कहना क्या चाह रहे हैं। किसी दिशा में तलवार भाज रहे हैं। मैं उनके सामने पहुंच गया। और जोर से बोला राम-राम गुरू, कैसे हैं। मुझे देखते हुए उन्होंने बोलना बंद किया और मेरी तरफ खतरनाक नजरों से देखने लगे। मैं समझ गया, बात बीच में कांटने से नाराज हो गए हैं शायद। सो मैं भी खामोश हो गया। कुछ देर मेरी तरफ देखने के बाद बोले। तु हो चुनाव लड़ोंगे। मैंने सर हिलाते हुए नहीं का इशारा किया।
वे हंस पड़े, और बोले। चला अच्छा हुआ। नहीं तो हम एक दम से घबरा गए थे। कहीं तु हो उम्मीदवार तो ना बन गए। जौन मिला शहर के लूटा है। ओ सब के मुहे खून लग गवा है। नाली से लेकर कूड़ा के डब्बा तक के रुपया सब खा जाता है। इ सब कवनो जनावर से कम नहीं है। इतना सब होवे के बाद भी जनता इ सब के पहचानती काहे नहीं है गुरू। उनका सवाल सुन मेरी समझ में इतना तो आया वे चुनावी चर्चा कर रहे हैं। फिर मैं भी हंसने लगा और वे भी हंसते हुए दूसरी राह चले गए। माउथ मीडिया बक्सर खबर का साप्ताहिक व्यंग कॉलम है। जो प्रत्येक शुक्रवार को प्रकाशित होता है।
माउथ मीडिया का लेख बहुत अच्छा लगा।
धन्यवाद।