बक्सर खबर। सदर अस्पताल में लचर स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल किसी से छिपा नहीं है। आए दिन मरीजों की हो रही मौत को लेकर तरह-तरह की खबरें आ रही हैं। पिछले सप्ताह एक दिल दहला देने वाली खबर आई। निजी अस्पताल में फर्जी डाक्टर के हाथों जच्चा-बच्चा की मौत हो गई। गरीब परिवार की उर्मिला बच्चे को जन्म देने निजी अस्पताल की शरण में गई। जहां चिकित्सक की लापरवाही से मां और बेटे दोनों की मौत हो गई। इस खबर ने सबको व्यथित कर दिया।
डीएम के आदेश पर वह अस्पताल सील कर दिया गया। लेकिन बावजूद इसके सदर अस्पताल की हालत में कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है। मीडिया का ध्यान भी महिला वार्ड की तरफ गया। जहां रोज ही गर्भवती महिलाएं प्रसव के लिए आती हैं। लेकिन अगर किसी केस में आपरेशन की स्थिति आ जाए तो उसे सदर अस्पताल में आपरेट नहीं किया जाता। वजह वहां आपरेशन होता ही नहीं। हालांकि इस बात से अस्पताल के डाक्टर व कर्मचारी इनकार करते हैं। लेकिन इस अस्पताल की यही दशा है।
पूछने पर पता चला यहां चार महिला चिकित्सक हैं। प्रतिदिन दो महिला डाक्टर की ड्यूटी यहां लगती है। लेकिन कितनी महिलाओं का आपरेशन हुआ यह पूछने पर कोई जवाब नहीं मिला। हालांकि कि सदर अस्पताल पर नजर डाले तो यहां 20 पुरुष एवं 4 महिला चिकित्सक हैं। लेकिन एक दो को छोड़ यहां वहीं हैं। जिनका अपना खुद का क्लिनिक चलता है। अर्थात धरती के भगवान कहे जाने डाक्टर साहेबान का मन सदर अस्पताल में कम अपने क्लिनिक में ज्यादा लगता है। और चिकित्सा व्यवस्था पर हल्ला करने वाले समाजसेवी भी इनके विरुद्ध नहीं बोलते।
चिकित्सक हैं चार पर महिला विशेषज्ञ कोई नहीं
बक्सर। सदर अस्पताल में कहने को तो चार महिला चिकित्सक हैं। लेकिन इनमें से महिला रोगों का विशेषज्ञ कोई नहीं है। खबर की तस्दीक के दौरान जब ड्यूटी रोस्टर देखा गया तो यह पता चला। यहां डा. नमिता सिंह, डा. मधु सिंह, डा. भारती कुमारी और डा. गीता कुमारी की नियुक्ति है। इनमें से दो चिकित्सक को प्रतिदिन ओपीडी, मीड डे एवं नाइट में तैनात किया जाता है। यही हाल जिले के अन्य अस्पतालों का है। जैसे डुमरांव अनुमंडलीय अस्तताल में दोपहर बाद किसी भी दिन आपको किसी महिला चिकित्सक से मुलाकात नहीं होगी। प्रखंड अस्पतालों की चर्चा तो यहां बेमानी है। इस सिलसिले में हमने सिविल सर्जन ने बात करने का प्रयास किया। लेकिन फोन पर उनसे बात नहीं हो सकी।
डीएम ने कहा प्रत्येक सप्ताह होगा निरीक्षण
बक्सर। जिलाधिकारी राघवेन्द्र सिंह से जब अस्पताल का हाल बताया गया। तो उन्होंने कहा जिला आपूर्ति पदाधिकारी शिशिर मिश्रा को इस कार्य के लिए नियुक्त किया है। प्रत्येक सप्ताह वे अस्पताल का निरीक्षण करेंगे। आवश्यक निर्देश देंगे तथा प्रशासन को भी अस्पताल की जरुरतों से अवगत कराएंगे। पिछले तीन-चार दिनों से लगातार अस्पताल की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए काम हो रहा है। आगे इस पर लगातार ध्यान दिया जाएगा।