बक्सर खबर : भगवान से नेह लग जाए। यह तभी संभव है जब उसके जीवन में भक्ति का प्रवेश हो। यह बार-बार के प्रयास से ही संभव है। भगवान से सबसे प्रिय भक्तों में प्रहलाद जी का नाम आता है। उनकी मां ने कभी बताया था। भगवान प्रसाद व भोग के नहीं भाव के भूखें हैं। उन्हें जो जिस भाव में याद करता है। वह स्वयं आ जाते हैं। छह वर्ष के प्रहलाद जी ने भगवान से ऐसा रिश्ता जोड़ा। उनको नरसिंह के रुप में आना पड़ा।
यह भक्ति की शक्ति व, भाव तथा मां के सही संस्कार तीनों का अप्रतिम उदाहरण है। इस लिए कहा गया है। मां से बड़ा संसार में कोई गुरु नहीं है। प्रहलाद चरित्र का वर्णन करते हुए यह कथा शुक्रवार को मलूक पीठाधीश्वर राजेन्द्र दास जी महाराज ने कही। राम विवाह महोत्सव 16 नवम्बर से प्रारंभ हो गया है। यहां के विवाह महोत्सव को देखने के लिए देश के प्रत्येक हिस्से से श्रद्धालु पहुंचने लगे हैं। कथा व अन्य कार्यक्रमों के अलावा दिन में रास लीला और रात में रामलीला का भव्य मंचन हो रहा है।