-सरकारी निर्देश के बाद भी कोई ले रहा री एडमीशन तो कोई डेवलपमेंट चार्ज
बक्सर खबर। कोरोना महामारी ने जहां एक तरफ पूरे विश्व को परेशान कर रखा है। वहीं लॉकडाउन की वजह से आर्थिक तंगी झेल रहा व्यक्ति परेशान है। ऐसे में नाम बड़े और दर्शन छोटे वाली बात शहर के प्रतिष्ठित स्कूल चरितार्थ कर रहे हैं। अभिभावकों से स्कूल वाले ट्यूशन फी लेने के लिए बार-बार संदेश भेज रहे हैं। कुछ फोन भी कर रहे हैं। इसके पीछे उनका तर्क है। शिक्षकों को वेतन देना है। जैसे स्कूल फी की पूरी राशि वे वेतन में ही खर्च करते हों। कुछ ने तो सारी हदें पार करते हुए अपने ही छात्रों से पुन: नामांकन का शुल्क वसूला है। ऐसा करने वाला शहर डीएवी स्कूल सबसे बड़ी संस्था है। अपने ही छात्र को अगली कक्षा में दाखिला देने के नाम पर ऐसा करने वाला यह संस्थान शिक्षा में आदर्श की बात करता है।
वहीं कुछ स्कूल ऐसे हैं। जिन्होंने कम्प्यूटर फी, ट्रांसपोर्ट किराया, पीपल फंड आदि को जोड़कर फीस मांगी है। कई स्कूल के शिक्षकों ने बताया है। हमें 40 से 50 प्रतिशत तक की कटौती कर वेतन मिला है। अपने छात्रों को आदर्श सीखाने वाले स्कूल प्रबंधन का जो चेहरा सबके सामाने आया है। वह अमानवीय है। मेडिकल इमरजेंसी के हालात में इन स्कूलों द्वारा जनहित का कोई कार्य नहीं किया गया। इन्हें सिर्फ और सिर्फ अपने लाभ से मतलब है। कैंची लेकर बैठे स्कूल प्रबंधन अभिभावकों की जेब करतने की योजना में व्यस्त हैं। ट्यूशन फी में राहत की बात तो दूर, अन्य चार्ज भी लेने में गुरेज नहीं कर रहे। कमोबेश यही हाल सभी स्कूलों का है। किसी ने ट्यूशन फी बढ़ाकर अपना काम किया है, किसी ने अन्य चार्ज के नाम पर।
आखिरी स्कूल ट्यूशन फीस भी किस बात की ले रहे हैं। स्कूलों ने 1 साल में जितना पैसा कमाया है उससे 10 साल तक टीचरों को सैलरी दिया जा सकता है।
डी ए वी से कम कैम्ब्रीज भी नही है उसकी भी तहकीकात होनी चाहिए कि कैसे आन लाइन टीचिग को जरिया बना ये विधार्थीयो एवं अभिभावको को बेबकूफ बना पैसे कमा रहे हैं|