बक्सर खबर : जिले में कुछ पत्रकार ऐसे भी हैं। जिन्होंने कभी काम को बोझ नहीं समझा। न ही बैनर से काम के एवज में मेहनताना के लिए जिच की। काम किया तो मस्ती से और हर चुनौती का समना भी किया। हम बात कर रहे हैं नावानगर के निवासी अरविंद सिंह की। हमेशा से मस्त जीवन व्यतीत करने वाले अरविंद सिंह अपने परिवार के लाडले थे। शौक से जीवन गुजारा जिसकी छाप काम पर रहन सहन पर पड़ी। आज भी उसी मस्ती के साथ जीवन गुजार रहे हैं। रविवार को बक्सर खबर ने अपने साप्ताहिक कालम इनसे मिलिए के लिए बात की। प्रस्तुत है उसके कुछ अंश।
पत्रकारिता जीवन
बक्सर : अरविंद सिंह बताते हैं पढ़ाई के बाद अपने परिवार की जिम्मेवारी उनके उपर थी। इस वजह से कहीं बाहर नहीं गए। गांव पर रहे और शौक से पत्रकारिता शुरु की। वर्ष 2000 के लगभग आज से जुड़े। आज भी उसी बैनर के लिए काम कर रहे हैं। लेकिन पहले जो जोश था। उसमें अब कमी आ गई है। कहीं कुछ हुआ नहीं की अरविंद सिंह हर जगह मौजूद रहते थे। लेकिन वक्त ने उनको अब थकाना शुरु कर दिया है। जिसका प्रभाव उनके काम पर पडऩे लगा है। वे कहते हैं मैं इतना बड़ा विद्वान नहीं किसी को तकनीक व खबर का ज्ञान दूं। आम आदमी की तरह मेरा अपना अनुभव यही कहता है। जो काम करो जोश के साथ करो। अगर मन नहीं लगे तो वह काम करने की जरुरत नहीं।
व्यक्तिगत जीवन
बक्सर : अरविंद सिंह का जन्म 18 जनवरी 1964 में हुआ था। गांव से मैट्रिक की परीक्षा पास की। आरा के वीर कुंवर सिंह कालेज से इंटर की परीक्षा पास की। इससे आगे वे नहीं पढ़ सके। पिता बबन प्रसाद सिंह हाई स्कूल में कलर्क थे। उनकी पांच संतानों में अरविंद इकलौते पुत्र थे। इस लिए वे परिवार के दुलारे थे। 8 जून 1979 को शादी ह ो गई। पत्नी भी अपने परिवार की इकलौती संतान थी। इन दोनों का आज भरा पूरा परिवार है। अरविंद सिंह आज चार बच्चों के पिता हैं। जिनमें एक बेटी और 3 पुत्र हैं।