बक्सर खबर ( माउथ मीडिया)। बड़े दिनों बाद राह चलते बतकुचन गुरू से मुलाकात हो गई। मैंने हालचाल जानना चाहा तो वे बोल पड़े। अपना सुनाइए गुरू, सुने रहे आपके साथ कुछ अटपटा हो गया था। मैंने उन्हें अपनी आपबीती सुनाई और यह भी कहा कि अधिकांश समय गांव में गुजर रहा है। मेरी बातें सुन उनके चेहरे का भाव बदल गया। सहानुभूति प्रकट करते हुए उन्होंने कहा गुरू बड़े मनई कह गए हैं, जो आए हैं वे जाएंगे। हम्मन के जिम्मेवारी है अप्पन धरम-करम का पालन करें। का समझे, अब देख लो जिला में अइसन अफसर आया है। जांच के हांच कबार दिया है।
केतना मिला के सांस अटक गया है। पता नहीं का करेगा, कवना तरफ जाएगा। दफ्तर से बाहर जैइसे ही पैर रखे है, मातहत सब घबरा जावे हैं। उ पढावे वालन के त जाने सुखाइल रहता है। सब मिला नीचे से जांच करते हैं। इ मनई जौन है उपर-नीचे चारो और टउर रहा है। सुने में आवा रहा सबकर पानी भी न पिए है। देख के तो अच्छा लगे है। इतना कहने के बाद उन्होंने मेरी तरफ देखा और बोले। गुरू तोहे भी एही माफिक काम करे चाही। खुदे माथा से टेंशन निकल जावेगा। इतने कहते वे अपने रास्ते चले गए।
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