-धार्मिक यात्रा में 1237 लोग हुए शामिल, साथ मे कई संत महात्मा
-बक्सर सहित अन्य प्रदेशों के लोग चार धाम यात्रा पर पुहचे देवभूमि
बक्सर खबर। जीयर स्वामी जी महाराज 1237 लोगों के साथ चार धाम यात्रा पर पर है। रजनीकांत उर्फ मुन्ना पाण्डेय ने बताया कि जियर स्वामी जी महाराज तीर्थयात्री जत्था के साथ 24 अक्टूबर से 10 दिनों की चार धाम यात्रा पर निकलें है। इस जत्था में कई संत महात्मा भी शामिल है। यात्रा का पहला पड़ाव जिला उत्तर कशी के खैरादी में तीर्थ यात्रियों की जत्था रात्रि विश्राम किये। यहां से आज सुबह यमुनोत्री के लिए जीयर स्वामी जी महाराज का यह जत्था प्रस्थान कर गया है। जीयर स्वामी जी का चतुर्मास यज्ञ शरद पूर्णिमा के दिन उत्तर प्रदेश के चंदौली में संपन्न हुआ।वहां से सीधा स्वामी जी 23 अक्टूबर को हरिद्वार पहुंचे। 10 दिनों तक शिष्यों के साथ उत्तराखंड सभी धार्मिक स्थलों का भ्रमण करेंगे।
स्वामी जी का संदेश: मंत्र, संत और भगवान की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए-
बक्सर खबर। यात्रा की शुरुआत करते समय अपने शिष्यों को स्वामी जी महाराज ने संदेश देते हुए कहा कि मंत्र, संत एवं भगवान की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए। उन्होंने बताया कि इसी मर्यादा का पालन कुंती ने नहीं किया था। जिसके चलते उनको विवाह से पहले पुत्र को प्राप्त करना पड़ा। कुंती ने मर्यादा का पालन नहीं किया और मंत्र की परीक्षा लेनी शुरू कर दी। जिसका परिणाम यह हुआ की कुंवारी अवस्था में हीं उसे कर्ण के रूप में पुत्र को प्राप्त करना पड़ा।अतः किसी भी व्यक्ति को मर्यादा का ख्याल रखना चाहिए।किसी भी परिस्थिति में मंत्र की संत की तथा भगवान की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए।
सभी को अपनी मर्यादा में रहना चाहिए :जीयर स्वामी
हर व्यक्ति को मर्यादा के अंतर्गत अपने जीवन को जीना चाहिए। किसी भी परिस्थिति में मर्यादा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। विषम परिस्थिति में भी मर्यादा का पालन करते रहना चाहिए। क्योंकि मर्यादा ही पुरुष की शोभा है।मनुष्य की शोभा है,संसार की शोभा है, राष्ट्र की शोभा है,कुल की शोभा है और इस जगत की भी शोभा है।बिना मर्यादा का मनुष्य जानवर से भी गया गुजरा है।जिस प्रकार जल विहीन नदी का कोई अस्तित्व नहीं रह जाता।
उसी प्रकार मर्यादा के बिना मनुष्य का भी कोई अस्तित्व नहीं है। जो विषम परिस्थितियों में भी मर्यादा का पालन करते हैं। धर्म का पालन करते हैं। माता-पिता का कद्र करते हैं। स्त्री का सम्मान करते हैं। बुजुर्गों का सम्मान करते हैं ।उन पर लक्ष्मी नारायण भगवान की कृपा बनी रहती है। और उनका परिवार विकास करता है। सबको आपस में प्रेम और सद्भाव के साथ जीवन जीना चाहिए। भरत के चरित्र को जीवन में उतारना चाहिए। भाई भरत के चरित्र का पूजा किया जाए।
भाई से बेईमानी किया जाए यह उचित नहीं है। जिस प्रकार त्रेता द्वापर में एक भाई दूसरे भाई के लिए त्याग की भावना रखते थे।उसको जीवन में उतारना चाहिए।और अपने परिवार के लिए अपने भाई के लिए अपने समाज के लिए मन में त्याग की भावना रखनी चाहिए। स्वामी जी महाराज ने कहा कि एक भाई से बेईमानी कर कबूतर को दाना खिलाने से कोई फायदा नहीं हो सकता।