का जोगाड़ी : भूल गए नियम कायदा, मंगावे पड़ा दारू

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बक्सर खबर (माउथ मीडिया) : बतकुच्चन गुरू मिले तो लहरा रहे थे। मुझे देखा तो दूरी बनाकर खड़े हो गए। मैंने बरबस पूछ लिया। जय राम जी कि, क्या हाल है। वे उखड़ गए, बोल पड़े, हाल तो इ जिला के खराब है। ओ से भी बुरा हाल गंगा जी के है। जा के पूछिए, उनका कौन गंदा कर रहा है। जिनगी भर लोग अपने खेत, खतियान बदे लड़ते हैं। लेकिन, टे बोल गए तो घर वाला भी फेंक दिया। उ तो भला हो गंगा जी का। जौन आज भी माई की तरह अपना गोदी में जगह दे रही हैं। देखे चार दिन पहले सबका होश ठीक हो गवा था।

तीस, चालीस, पचास, साठ, सत्तर, सब गए भितर। कौन जगह दिया, गंगा मइया, का समझे। जिंदगी भर लड़ते रहे, इस हमारा उ तोहरा प्रदेश, टे बोल गए तो जिला जवार कौन कहे, प्रदेश में भी जगह नहीं मिला। कितने मिला के तो चार गो कंधा नसीब नहीं हुआ। घर वाला सब छोड़ के भाग गए। सरकार न रहती तो कुकुरू नोचता। ऐही बदे हम कहते हैं, लड़ो मत, आपस में मिल के रहो। इतना कहने के बाद उन्होंने मेरी तरफ देखते हुए कहा।

कब तक गंगा जी के इ दशा रहेगा। मैंने अनमने ढंग से जवाब दिया, सरकार ने शव प्रवाह पर रोक लगायी है। कोई समझ ही नहीं रहा है। इतना सुन भड़क गए, बहुत नियम कायदा बतियाते हुए। अरे इंतजाम बढ़ाओ। तोहरे जइसे नियम कयदा वाले गए थे उहां। व्यवस्था देखने, मंगावे पड़ा दारू। नियम देखते तो रह जाते उहें खड़ा। अरे समाज में हर टाइप के व्यवस्था होना चाहिए। तब काम चलता है, तलवार के संगे सुई भी रखना पड़ता है, का समझे। यह कहते हुए उन्होंने मेरी तरफ देखा। मैंने सर हिला कर बात स्वीकार की और राम-सलाम कर घर की तरफ चला आया।
नोट- माउथ मीडिया बक्सर खबर का साप्ताहिक व्यंग कालम है। जो प्रत्येक शुक्रवार को प्रकाशित होता है। अपने सुझाव हमें कमेंट के माध्यम से दे सकते हैं।

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