बक्सर खबर (माउथ मीडिया)। शहर में विकास की गंगा बहेगी। ऐसा दावा तो कोई नहीं कर सकता। लेकिन, हालत में सुधार होगा। इतना आश्वासन तो जरुर दिया जा सकता है। यही सोचते हम चले जा रहे थे। तभी रास्ते में बतकुच्चन गुरु से मुलाकात हो गई। लंबे अरसे बाद उनको सामने देखकर मैं तपाक से बोला, कैसें हैं गुरू। मेरी आवाज सुन उन्होंने मेरी तरफ कातर नजरों से देखा। और हंसते हुए बोले, का गुरू तु तो बोले रहे बदलाव के बाद मुलाकात होगी। तोहरे शहर में कुछ नवा हो रहा है का। उनकी बातें सुन मैंने कुछ कहना चाहा। पर वे तो शुरू हो चुके थे। बोलने का मौका ही नहीं दे रहे थे। कहे जा रहे थे, हम तोका पहिले बताए रहे गुरू। कवनो सारे कछू न करेंगे। शहर के सुरत सुधारने चले थे। लग गए हैं अप्पन जोगाड़ सेट करे बदे। सुने हैं एगो के करियवा घेर लिया है।
घुमों, दस जगह जाना पड़ेगा तब तोरा पता चलेगा। बिहार में केतना बहार है और आम आदमी केतना लाचार है। तो के हम बता रहे हैं, ए नगर में जिधर से आओगे उधर से सड़ा-सड़ा महकेगा। तब पता चलेगा शहर आ गवा है। कूड़ा-कचरा को तुम साधारण न समझो गुरू। ओकर बिन के कछु का पेट भरता है और कुछ मिला के लूट के। का समझे गुरू, हम्मर बात भेजा में जा रहा है। मैंने इशारे से कहा जरा रुकिए, सबर कीजिए, इंतजार कीजिए, सांस लीजिए अभी तो पारी शुरू हुई है। मेरी इशारा समझ न वे तुनक गए। चल दिए वहां से, और कहते जा रहे थे, देखेंगे, बहुत दिन न लगेगा। तब पूछेंगे तो से का हो रहा है तोहरे शहर में। (नोट- माउथ मीडिया बक्सर खबर का व्यंग कालम है। जो सप्ताह में प्रत्येक शुक्रवार को प्रकाशित होता है।)