-कन्याओं की रक्षा करना हमारा धर्म
बक्सर खबर। आप चाहे जिस धर्म के मानने वाले हों। आपको यह सीख लेनी चाहिए। धर्म जीव के संरक्षण, पोषण का ज्ञान देता है। धर्म कहता है, जीव की हत्या न करें। फिर भी आप ऐसा करते हैं तो महापाप करते हैं। इतना ही नहीं अगर आप किसी भ्रूण की हत्या करते हैं। तो एक साथ चार हत्याओं का पाप आपके उपर लग जाता है। आजकल चलन में है लोग मशीन की मदद से बच्चे की लिंग जांच करा लेते हैं। फिर उसकी हत्या कर देते हैं। ऐसा बच्चियों के साथ हो रहा है। यह सर्वथा गलत है। ऐसा किसी को नहीं करना चाहिए। यह बातें महान सन्यासी संत पूज्य जीयर स्वामी जी महाराज ने बुधवार को अपनी कथा के दौरान कहीं।
उनके अनुसार जब किसी भ्रूण की हत्या होती है। तो जीव हत्या होती है। यह पहला पाप है। जीव भी कैसा, गर्भ में पल रहा शिशु, अर्थात अबोध की हत्या का पाप। तीसरा ब्रह्म की हत्या पाप। क्योंकि जब तक जीव जगत में नहीं आता। तब तक उसके अंदर ब्रह्म विद्यमान होते हैं। और चौथा है वंश की हत्या का पाप। अगर उसने जन्म लिया होता। तो जरुर सृष्टि कार्य में सहायक होता। उस आने वाले वंश की हत्या भी इसी दौरान हो जाती है। इस लिए कभी भी भ्रूण हत्या न करें। बेटियां ही सृष्टि का आधार हैं। यह प्रत्येक व्यक्ति को पता होगा, अथवा होना चाहिए। हमारा सनातन धर्म इसकी सीख देता है। उसी तरह अपनी संस्कृति को भी बचाना चाहिए। जो हमारे मूल में है। अगर हम अपनी सोच सकारात्मक नहीं रखेंगे। तो आने वाले समय में मानवता को बहुत बड़ा नुकसान होगा। इससे बचने का सबसे आसान रास्ता है। प्रभु की भक्ति, जो देती है, शांति और शक्ति। स्वामी जी की कथा इन दिनों राजपुर प्रखंड के खिरी गांव में चल रही है। जहां 16 फरवरी तक कथा होनी है।