-बच्चे की हो गई मौत, दलालों ने किया मीडिया को गुमराह
-डीएम ने दिए हैं जांच के आदेश
बक्सर खबर। कंधे पर आक्सीजन का सिलेंडर और ट्रे में मासूम बच्चा। यह तस्वीर 23 तारीख को सदर अस्पताल में फोटो जर्नालिस्ट बंटी कुमार ने ली थी। तस्वीर मीडिया में आई तो उसने सबको झकझोर कर रख दिया। देखने और पढऩे वालों ने गंभीर प्रतिक्रिया दी। बक्सर खबर ने दर्द बयां करती इस तस्वीर को प्रकाशित किया था। 24 तारीख को जब बक्सर खबर ने उसे प्रकाशित किया। तो डीएम अमन समीर ने जांच के आदेश दिए। सबके कान खड़े हो गए। कुछ लोग बचाव में भी जुट गए। वैसे लोगों की तलाश की गई। जो सच को गुमराह कर सकें। और हुआ भी वहीं। मीडिया को ढाल बनाकर निजी अस्पताल की लापरवाही बताया गया। सच पर पर्दा डालने का प्रयास किया गया।
-क्या है तस्वीर का पूरा सच
बक्सर खबर। हमने जब खबर प्रकाशित की। वहां एक चूक हो गई। तस्वीर लेने वाले ने उनका नाम पता नहीं पूछा। बच्चे के साथ दिख रहे महिला और पुरुष को लाचार दंपति बता हमने खबर छाप दी। लेकिन, जब विश्वसनीयता को लेकर सवाल उठे तो अब हमारे भी कान खड़े हुए। हमने तस्वीर के आधार पर बच्चे का पता लगाया। जानकारी मिली, वे लोग राजपुर प्रखंड के सखुआना के हैं। हमारा संवाददाता चन्द्रकेतु वहां तक पहुंचे। परिवार के सदस्यों को तस्वीर दिखाई और पूछा। इसका सच क्या है। उन लोगों ने जो बताया वह हमारी सोच से कुछ ज्यादा ही दर्दनाक निकला। लेकिन, यहां हमारी कमी भी सामने आई। बच्चे के पिता सुमन ने बताया तस्वीर में दिख रहे लोग बच्चे के दादा और बुआ हैं। जिनका नाम तपेश्वर सिंह और कंचन देवी है। पाठक जान लें, कंधे पर सिलेंडर लिए दिख रहे व्यक्ति ट्रे में पड़े नवजात बच्चे के दादा हैं। और वह अपनी बुआ के हाथों में है। लेकिन, अब वह बच्चा जीवित नहीं है।
नहीं रहा बच्चा, मां को अस्पताल में नहीं किया दाखिल
बक्सर खबर। जब हमारी टीम बच्चे के गांव सखुआना गई तो वहां रोती हुई उसकी बुआ कंचन से मुलाकात हुई। उन्होंने बताया अपनी भाभी विमल को लेकर मैं और पिता जी 22 जुलाई की रात ही सदर अस्पताल गए थे। वहां जब पर्चा कटाने के लिए कहा। तो निचली मंजिल पर मौजूद लोगों ने कहा। तीन नंबर में उपर जाइए। वहीं इलाज होगा। हम प्रसुता वार्ड में गए। लेकिन, वहां मौजूद नर्सों ने कहा। अभी कुछ नहीं होगा। डॉक्टर कल दोपहर में आएंगी। लेकिन, हमारी किसी ने नहीं सूनी। जच्चा के पेट में बहुत तेज दर्द हो रहा था। वह चिल्ला रही थी। हम लोग नीचे आए, वहां मौजूद कर्मियों ने हमारी तकलीफ देखी। एक बोतल पानी भी चढ़ाया। लेकिन, हालत नहीं सुधरी तो कहा। आप इसे जहां दिखा रहे थे। वहीं ले जाइए। हम उसे लेकर चौसा के निजी अस्पताल आए। डाक्टर ने कहा मरीज का ऑपरेशन करना होगा। सदर अस्पताल वाले हमें लौटा चुके थे। हम कहां जाते। ऑपरेशन हुआ लेकिन बच्चे की सांस लेने में दिक्कत आ रही थी। डाक्टर ने देखा तो कहा, उसे आक्सीजन की जरुरत है। आप उसे सदर अस्पताल ले जाएं।
-अस्पताल वालों ने ली बच्चे की जान
बक्सर खबर । कंचन में हमें बच्चे के दादा तपेश्वर सिंह का नंबर उपलब्ध कराया। जब उनको फोन किया गया तो शाम में उनसे बात हुई। मीडिया का नाम सुनते ही वे बोले। सदर अस्पताल वालों के कारण ही मेरे नाती की जान गई है। अगर हमारी बहू को अस्पताल में दाखिल कर लिया होता। तो रातभर टेम्पू में लेकर उसे यहां से वहां दौडऩा नहीं पड़ता। उन्हें हमारे पूछने पर कहा, आक्सीजन का सिलेंडर चौसा के निजी अस्पताल से मिला। जहां हमारी बहू का ऑपरेशन हुआ है। 23 जुलाई को जब बच्चे को लेकर वहां गए। तो डाक्टरों ने हमारे बार-बार के आग्रह पर उसे बच्चा वार्ड में दाखिल किया। वहां एक घंटे तक उसे एक मशीन में रखा गया। एक-दो बच्चे वहां और थे। फिर नर्स ने कहा, आपका बच्चा नहीं रहा। हम रोते लौट आए, क्या करते। हमें यह जानकर तसल्ली हुई। नवजात को वहां से पटना रेफर नहीं किया। पूछने पर तपेश्वर सिंह ने यह भी बताया। यह बहू का दूसरा बच्चा था। पहले से एक सवा साल की बेटी है। जो यहीं अस्पताल में मां के साथ है।